उन्हें ये तो मालुम है, की जो कुछ हो रहा है, वो सही नहीं हो रहा। मगर, ये सब गड़बड़ क्यों और कैसे हो रहा है, ये नहीं मालूम।
ज़्यादातर बच्चे इस कुंबे में माँ-बाप में से किसी एक ने पाले हैं, क्यूँकि दूसरा किसी भी कारणवश दुनियाँ में ही नहीं रहा। इस कुन्बे की ज़्यादातर लड़कियाँ युवावस्था में ही, किसी भी कारणवश वापस घर बैठ गयी। और भी कुछ-कुछ ऐसा ही, इस दौरान सुनने में आया। काफ़ी हद तक हकीकत भी। क्या कारण हो सकते हैं? ये सब सुनकर या जानकार, सीधा सा प्रश्न दिमाग़ में यही आएगा।
किसी भी मौत के बाद का शौक समय, खासकर तेहरवीं तक का, मेरे लिए पहली बार इतने पास से देखने-समझने का था। इतने सारे सवालों के साथ-साथ, कहीं न कहीं, बहुत से जवाब भी लिए हुए था।
राजनीती
उनमें, राजनीती और उसकी क्रूरता और निर्दयता एक है। मौत पे भी राजनीतिक जुआ! -- Kinda Checkmate! आप राजनीती को पसंद करते हैं या नहीं? आपके आसपास कोई राजनीती में है भी, या नहीं? ये सब भी जरूरी नहीं है। राजनीती फिर भी, आपकी ज़िंदगी का हर पहलु तय करती है।
फुट डालो, राज करो
ये वो जुआ है, जिसमें राजे-महाराजों ने पुरे समाज को ही एक दुसरे के ख़िलाफ़ खड़ा किया हुआ है। जो जितने बेवकूफ़ हैं, वो उतने ही राजे-महाराजों के सैनिक ज्यादा हैं। वो, जो ये तक नहीं सोच सकते, की इसमें तुम्हारा अपना या अपनों का कितना भला है?
फुट डालो राज करो, जैसे उनकी माँ, बेटी या बेटे की आपस में नहीं बनेगी, तो तुम्हारा भला होगा। वो या ये, घर बैठेगी या बैठेगा, या इसकी या उसकी आपस में बिगड़ेगी, तो मेरा वैवाहिक वक़्त ठीक होगा। वो गाँव आ गया या आ गयी तो हमारी नैया पानी में गयी। वो शहर गया या गयी तो हमारी। और भी पता नहीं क्या-क्या! वैसे इसमें अज़ीब जैसा क्या है? इंसानी फिदरत है। खासकर, अंदर से असुरक्षित या कमज़ोर इन्सान की? या कुछ ज़्यादा ही ठाली इंसानो की?
या शायद कुछ और भी है? राजनीतीक जुआ? और इन असुरक्षित मह्सूस करने वाले इंसानों के दिमाग़ में, अलग-अलग पार्टीयों द्वारा, भेझे में ठूस-ठूस कर भरा गया कूड़ा? ये वो है, जो होता है, मगर दिखता नही। या यूँ कहें , "जो होता है, वो दिखता नहीं और जो दिखता है, वो होता नहीं"? या शांत दिमाग से देखने-समझने लगो -- दिखेगा भी, और समझ भी आने लगेगा, की जो दिख रहा है या सुन रहा है, उसके पीछे वज़ह क्या हैं?
इसका सबसे बुरा असर किसपे होता है? शायद बच्चों पे? और बुज़र्गों पे?
No comments:
Post a Comment