भगवान या मंदिर
तुम्हारे मन में, दिमाग में, शरीर में वास करता है
तुम्हारे अपनों में, तुम्हारे रहने की जगह में वास करता है
मन की शांति का रास्ता, तुम्हारे अपने दिमाग में बसता है
अगर ये वहाँ नहीं है, तो कहीं भी नहीं है
अगर तुम किसी रोड़े को, किसी पत्थर को
किसी ईमारत को भगवान का घर मान सकते हो
तो तुम तो जीते जागते इंसान हो
और जीते जागते लोगों के बीच रहते हो
अगर वो भगवान जीते जागते इंसानों में नहीं है
तो इन जीवन से रहित पत्थरों में कहाँ से आएगा?
मंदिरों में शांति मिलती है?
या शांत तन-मन में, शांत वातावरण में शांति मिलती है?
शांत लोगों के बीच शांति मिलती है?
तन-मन तुम्हारा अपना है
और अपने रहने के वातावरण को ऐसा बनाना तुम पर निर्भर है
ये कैसे और कौन से मंदिर हैं?
जिनके लाउड स्पीकर्स शांत वातावरण का चीरहरन करते हैं?
सुबह हो या शाम दूर-दूर कानों में गूंजते हैं
पढ़ने वालों को डिस्टर्ब करते हैं
परीक्षा के दिनों में भी नहीं बक्शते हैं
अगर आपका नाता पढ़ाई लिखाई से, किताबों से नहीं भी है
तो सुबह श्याम सैर पे निकलिए, या व्याम, एक्सरसाइज कीजिये
स्वस्थ शरीर में, साफ़-सुन्दर, शांत जगह में शांत मन वास करता है
ये कैसे और कौन से मंदिर हैं?
जो डीजे के कानफोड़ू संगीत पे अपने इवेंट्स का आयोजन करते हैं?
कानफोड़ू चीज़ें, चीखने-चिलाने जैसी-सी ही हैं
वो मन मस्तिक ही नहीं, शशीर को भी नुकसान करती है
भूकंप की सी तरंगे जैसे, आसपास को भी भड़काती हैं
अपने मंदिर को, अपने भगवानो को खुद में बसा के चलो
तुम जहाँ हो, भगवान वहीं हो
शांत तन, शांत मन, शांत वातावरण ही मंदिर है
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