Search This Blog

About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Friday, May 10, 2024

टाली जा सकने वाली बीमारियाँ, हादसे या दुर्घटनाएँ (Social Tales of Social Engineering)

सामान्तर केस वो घड़ाईयाँ हैं जो बहुत से बड़े-बड़े लोगों की जानकारी के बावजूद हो रही हैं। जिनमें युवाओं का ही नहीं, बल्की बुजर्गों और बच्चों तक का शोषण है। बहुत से केसों में तो शोषण से आगे, मौतें तक हैं। ऐसी बीमारियाँ या हादसे, जिन्हें वक़्त रहते रोका जा सकता है। लेकिन हरामी लोग और राजनीतिक पार्टियाँ ऐसा नहीं चाहती। ये वो लोग हैं, जिन्हें किसी भी किम्मत पर सिर्फ और सिर्फ कुर्सियाँ या छोटे-मोटे लालच दिखते हैं। 

वैसे तो हर केस अलग है और उसका समाधान भी एक नहीं हो सकता। 

अलग-अलग समस्या, अलग-अलग समाधान।

मगर बहुत-सी सामान्तर घड़ाईयोँ में काफी कुछ ऐसा है, जो शुरू में बहुत ही छोटा-मोटा सा लगता है। मगर जिसे बढ़ा-चढ़ा बहुत ज्यादा दिया जाता है। उस छोटे-मोटे को बड़ा करने या बढ़ाने में, इन केसों के ज्ञाताओं को बहुत वक़्त नहीं लगता। वक़्त और जरुरत के हिसाब से, जिधर चाहें उधर मोड़ देते हैं। रिश्तों का यही है। बिमारियों का यही है और मौतों का भी ऐसे ही है।     

ये हूबहू घड़ाईयाँ इधर के या उधर के स्टीकर हैं। बेवजह के स्टीकर। बेवजह की बिमारियों के। बेवजह के हादसों या दुर्घटनाओँ के। ऐसी बीमारियाँ, जिन्हें आप नहीं चाहते। अब बिमारियाँ भला कौन चाहता है? और वो कब आपको बता कर आती हैं? मगर, आपको पता चले की कोई तो, उन्हें कहीं घड़ रहे हैं? तो? ठीक वैसे ही, जैसे, ये सामान्तर केस घड़ने वाली पार्टियाँ, इधर या उधर। जहाँ आपको पता नहीं चल रहा, की यहाँ कोई सामान्तर घड़ाई चल रही है, वहाँ जानने की जरुरत है, खासकर, जहाँ असर बुरे हों। मगर, जहाँ आपको कुछ भी कहकर या बताकर शामिल किया जाता है, वहाँ? बुरे असर जानने के बावजूद, कितनी बार शामिल होंगे आप ऐसी वैसी नौटंकियोँ में?

एक जोक है, किसी पढ़े-लिखे पुलिसिए का। मैं तो नदी पार करवाऊँ था।

और सामने वाला ना हुई बीमारियाँ भी सालों-साल लिए बैठा है? 

कौन है ये सामने वाला? 

आम आदमी? 

आप? हम? हम-सब? 

No comments:

Post a Comment