जब आप आसपास या खुद पर घटित होती हुई, किसी आम-सी घटना या घातक दुर्घटना को सूक्ष्म तौर पर देख या समझ पाने की काबिलियत रखते हैं, तो क्या होता है? बहुत-सी ऐसी घटनाओं या दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है या उनका बुरा असर कम किया जा सकता है।
जैसे जो पालतू जानवर पालते हैं, उन्हें पता होता है, की उन्हें कब खिलाना-पिलाना है। कब उनकी साफ़-सफाई करनी है। कब नहलाना है। कब वो वयस्क होंगे। उसके क्या लक्षण होंगे। जल्दी वयस्क करना है, तो क्या खिलाना-पिलाना है? या कैसे माहौल में रखना है? उनके बच्चे पैदा करवाने हैं, तो क्या करना है? और भी कितनी ही तरह की जानकारी पशु पालने वालों को होगी। आप कहेंगे शायद की कोई खास बात नहीं?
ऐसे ही जो किसान हैं या जिन्हें बागवानी का शौक है, उन्हें मालूम होगा पेड़ पौधों के बारे में। कितनी मेहनत करते हैं ना पशु पालक या किसान? और कितना वक़्त लगाते हैं, अपने पालतू जानवरों पे या पेड़-पौधों पे? जितनी मेहनत करते हैं या जितना ज्यादा वक़्त लगाते हैं, उतना ही ज्यादा कमा पाते हैं? ऐसा ही?
या शायद कभी-कभी ऐसा नहीं होता? क्यों?
कभी मौसम की वजह से? तो कभी बीमारियों की वजह से? या शायद कभी लापरवाही की वजह से? या शायद कभी इधर-उधर की रंजिश की वजह से भी? कभी गलत पहचान की वजह से? तो कभी गलत पहचान को खुद से किसी स्टीकर की तरह चिपकाए रहने की वजह से भी? कैसे? और
इंसानो के केसों में भी ऐसा ही है।
जानने की कोशिश करते हैं ऐसे ही कुछ एक आसपास के केसों से। जैसे कोई Mistaken Identity Or Identity Crisis?
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