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Wednesday, May 8, 2024

कल्पना को पँख दो?

Give Imagination A Fly? 

Or Let's Your Imagination Fly?

मान लो किसी ने आपको कोई बॉक्स गिफ़्ट किया। Fly in Imagination? Or Maybe Mirror, Cosmatic Box and Fly? 

कल्पना में उड़ो? नहीं शीशे में? या आईने में उड़ो?   

दोनों में कोई फ़र्क है क्या?

निर्भर करता है। बुरी बात तो नहीं, कल्पना में उड़ना? या सपनों में उड़ना? या अपने सपनों को हवा देना? मगर, हवा देने से पहले तो, वो सपना दिमाग में आना चाहिए। नहीं? अब वो सपना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। 

दिमाग में कैसे आएगा?   

फिर हवा कैसे मिलेगी?

और उड़ान, कल्पना की ही चाहे, कैसे लगेगी?

अब कल्पना की हवा लग गई, तो साकार करना क्या मुश्किल है?

निर्भर करता है, की आपके पास उसे साकार करने का सारा सामान उपलभ्द भी है की नहीं?

ठीक वैसे, जैसे आपको कोई पेज कॉपी करना है। क्या चाहिए उसके लिए? पेज और प्रिंटर, अगर पेपर पे कॉपी करना करना है? कैमरा, अगर सिर्फ सॉफ़्ट कॉपी चाहिए?

अगर आप किसान हैं तो, गेहूँ उगाने हैं? चावल या बाजरा उगाना? ऐसे ही, कुछ और भी हो सकता है। 

अगर आप खाना बनाना जानते हैं तो, आटा गुंथना है? गेहुँ की रोटी का, या बाजरे की रोटी का या बेसन की रोटी का? या दही जमानी है? या घी बनाना है या लशी बनानी है? या शायद ब्रेड बनानी है? या केक बनाना है?

अगर गाएँ या भैंस रखते हैं तो, अगर दूध निकलना है? कब निकालना है? कितनी बार निकालना है? कौन सी गाएँ या भैंस, बकरी या ऊँट कितना दूध देंगे? उनके गोबर के उपले या खाद बनानी है? कैसे बनेगी?

बाथरुम में या रसोई में सिंक के आसपास या कहीं भी जहाँ ज्यादातर पानी ठहरता है, काई लग गई, तो कैसे साफ़ होगी? 

ज़ुकाम हो गया या बुखार हो गया या थोड़ा बहुत कहीं से जल गया या कट गया तो आपको उनके घरेलु इलाज़ भी मालूम हैं। 

आपको अपने बच्चों को कैसे बोलना सिखाना है या चलना सीखाना है,  कैसे रखना है या आगे बढ़ाना है या पढ़ाना है, शायद ये भी मालूम है। ऐसे ही पालतु जानवरों का भी?   

ये काम और ऐसे ही कितने ही काम जो आप रोज करते हैं, कोई रॉकेट विज्ञान या जैनेटिक इंजीनियरिंग नहीं है।  मालूम है, कैसे करना है। अगर आप इन्हें करते हैं तो? जो आसपास होते या लोगों को करते देखते हैं, उन्हें भी ज्यादातर आ ही जाते हैं। 

मगर, अगर कोई ये सब नहीं करता या अपने आसपास किसी को करते ध्यान से नहीं देखता या सुनता तो? 

जैसे जो किसानों के बच्चे पढ़ते हैं, ज्यादातर खेती नहीं करते, मगर फिर भी शायद बहुतों को बहुत कुछ आता है या कम से कम पता होता है। जिनके घर में या आसपास भी कोई खेती नहीं करता, उन्हें भी बहुत-सी साधारण-सी बातों का भी शायद ना पता हो खेती के बारे में। ऐसे ही खाना बनाना है या कोई भी और काम। 

ऐसे ही आपके बच्चे कितना आसानी से या अच्छे से पढ़ पाते हैं या उन्हें मुश्किल लगता है, खासकर स्कूल के बाद? ये आपके घर का और आपके आसपास का वातावरण तय करता है। और राजनीती, ऐसे बच्चों को कहाँ धकेलती है? ये भी आपके यहाँ का राजनीती का मौहाल बताता है। वो नेता खुद कितने काबिल है और कैसे माहौल में पले-बढ़े हैं या पढ़े-लिखे हैं?  

कल्पना को पँख दो मगर?

मगर, सोच-समझ कर। बहुत तरह के कल्पना के पँख, आपकी जानकारी के बिना भी लग सकते हैं। कैसे? जैसे 

कोई आपसे या आपके आसपास किसी से 

लठमार की प्रैक्टिस (नौटंकी) तो नहीं करवा रहा? चाहे झुठी-मुठी ही सही? 

कोई आपसे या आपके बच्चों या बुजर्गों से नाली में स्लेटी डलवाने की? 

यहाँ-वहाँ पॉलिथीन डलवाने की? 

या कोई भी फ़ूड पैकेट्स, यहाँ-वहाँ किसी खाली घर या प्लॉट में डलवाने की? 

मैंने तो सुना है की अच्छी जगहों पे लोगबाग, ये सब डस्टबिन या कूड़ा डालने की जगह डलवाने की आदत डालते हैं, खुद भी और अपने बच्चों को भी। 

और आप? फिर भी आप चाहते हैं की आप अपने बच्चों को किन्हीं ऐसी जगहों के बच्चों से बराबरी या पर्तिस्पर्धा करवाएँ? जबकि दिमाग उन्हें उल्टे काम सिखाने में व्यस्त है?      

चाहे वो कल्पना के पँख गलत आदतें हों या रोज-रोज की नौटंकियाँ। वो नुकसान आपका ही करती हैं। रिश्तों में दरारें या बीमारियों के रुप में। मार-पिटाई के केस या इससे भी आगे कहीं-कहीं तो लग रहा है, मछली पकड़ने की, या पिस्तौल, देशी-कट्टा या गन के संकेत भी हो सकते हैं। आपके आसपास भी कहीं दिख रहे हैं क्या? 

सुना है या पढ़ा है यहाँ-वहाँ, की जो कुछ संकेत जहाँ कहीं हैं, वो या तो वहाँ (उन घरों में) उस वक़्त चल रहा है या ऐसा करने की कोशिशें हो रही हैं। तो आपके घर में या आसपास क्या चल रहा है? खुद आपसे ही ये राजनीतिक पार्टियाँ या इधर-उधर के राजे-महाराजे क्या करवा रहे हैं? और आप कर भी रहे हैं? सोचके देखो, ये आपके कितने भले में हैं? क्या वो साथ में ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी सामान्तर घड़ाईयोँ के दुष्परिणाम भी बता रहे हैं? या सिर्फ छोटे-मोटे लालच दे रहे हैं? इन सबको और ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी नौटंकियों को नहीं करोगे तो क्या इन पार्टियों की ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी घड़ाईयाँ नहीं होंगी? शायद? जानते हैं, अगली पोस्ट में।   

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