Search This Blog

About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Friday, May 24, 2024

राजनीती, आम आदमी को परेशानियाँ देती है, या उनके हल? 1 (Social Tales of Social Engineering)

पीछे जो AC, Cooler वाली पोस्ट लिखी थी, उसे फिर से पढ़ें। खासकर ये, सुप्रीम कोर्ट पहुँचा पानी। 

वैसे उत्तरी भारत का गर्मी का कहर और दक्षिणी भारत में बारिश के आसार। उत्तर भारत वालों को भी, दक्षिण की सैर पे निकल जाना चाहिए, Pleasant Weather के दर्शन के लिए। नहीं? खाली-पीली सी खबरें जैसे? कुछ-कुछ ऐसे?


पता नहीं किस जोकर ज़ोन से कॉपी किया था, ये?
पूरा क्रेडिट, ऐसे-ऐसे जोकर जोन को हँसाते रहने के लिए।
  
वैसे सुप्रीम कोर्ट में सिर्फ पानी पहुँचता है? हाय-हाय गर्मी नहीं?     

वैसे, ऐसे-ऐसे निर्जीव एप्लायंसेज (AC, Cooler) का, आदमियों या जीवों में किसी तरह की खराबी आने से कोई लेना-देना हो सकता है, क्या? (आप सोचो, और बताओ। आते हैं, ऐसे-ऐसे कई तरह के निर्जीवों की खराबियों पर। और उनके आसपास के जीवों पर प्रभावों या दुस्प्रभावों पर भी।) 

क्या सच में पानी सुप्रीम कोर्ट पहुँचा था? क्या सच में दिल्ली में बाढ़ आई थी? दिल्ली के कौन से हिस्से में? वहाँ इससे पहले बाढ़ कब आई थी? सुना, अरविन्द केजरीवाल का ऑफिसियल घर, सिविल लाइन्स पे और लाल किला भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया था? 


अपने आप आ गया था? या? हरियाणा या पंजाब के कुछ शरारती तत्वों की करामात की वजह से? कितने सारे लोगों ने भुगता उस परेशानी को? 


परेशानियाँ, जो असलियत में हैं ही नहीं। बल्की, राजनीती की पैदा की हुई? ठीक ऐसे, जैसे राजनीतिक बीमारियाँ?    

मतलब राजनीती, हमारी समस्याओँ के समाधान के लिए नहीं है? बल्की, ना हुई समस्याएँ लाने के लिए? 

No comments:

Post a Comment