क्या होगा अगर --
किताब को अगर प्यार या रोमांस कहोगे?
ड्रग्स, स्मैक को कहोगे live-in, step-in
या हुक्का गुड़गड़ाना?
जुए को पढोगे खेल?
योन-शोषण को मारपिटाई या डंडा?
रखैल रखने या दो के बीच सैंडविच करने का
मतलब हो अगर BA-IL?
कम्बल को कालिख (डोरी) पे टाँग
लटकाओगे जेली से, डोरी को ऊँचा कर
तो उसे कहते हैं JA-IL? (Stand up Commedy)
बाप-बेटी, बहन-भाई, माँ-बेटा, चाचा-भतीजी
बुआ-भतीजा, जैसे रिश्तों को कहोगे in?
अंदर आ गया या आ गई?
पैदा होते ही, बच्चे को कहो
किसी का खसम या किसी की लुगाई?
तो क्या होगा?
सोच कहाँ है?
दिमाग कहाँ है?
दूसरों को क्या बनाने में ?
या कहाँ व्यस्त करने में?
फिर वो जो हैं, उत्पाद मात्र
जिनपे ऐसे-ऐसे प्रयोग होने हैं
या कहो होते हैं
या थोपे जाने की कोशिश होती है
उनके दिमाग में घुसाते हैं ऐसे
जैसे चूहे फंसाने के लिए
रोटी का टुकड़ा पिंजरे में।
चूहा अंदर, गेट बंद
जैसे दिमाग की बत्ती गुल
जैसे शराबी का दिमाग गुल
ड्रग, स्मैक वाले का भेजा
मांगे बस शराब, ड्रग्स
ना चाहिए रोटी, ना कपड़ा
क्या करना काम या मकान का?
भिखारी हो, भीख पे पलो, मालिकों की
पालकों की या जेलरों की?
अगर मंजूर नहीं तो --
ऐसे-ऐसे चूहों का काम तमाम?
कितनी देर लगेगी करने में?
ऐसे जाल में फसाने वालों को?
जब चाहे काम तमाम कर दो
जब तक चाहे जीने लायक टुकड़ा,
डालते रहो, या
जब चाहे, जितनी देर चाहे भुखा रखो
और फिर अपने सिस्टम के कोढ़ के अनुसार
-- खिसका दो।
मुश्किल है क्या ?
पिंजरा और चूहा - चूहा, बाहर या अंदर? क्या आप सिस्टम के कोढ़ का चूहा हैं?
सोचो सिस्टम चल ही ऐसे रहा हो?
बीमारियाँ ऐसे ही, जैसे किसी लैब के अंदर पैदा की गई हों?
उनका ईलाज या खात्मा भी, फिर किसके कंट्रोल में होगा? खासकर, अगर आपको ना ऐसी सामाजिक लैब (Social Engineering) की खबर और ना उससे निकलने या बचने के रस्तों की खबर? तो ईलाज भी कैसे पता होगा? ये सब उन्हें पता होगा जो सिस्टम को ऐसे चला रहे हैं। कौन हैं वो? जरूरी है ना उन्हें जानना?
No comments:
Post a Comment