DEJA VU Fights/Flights/Sortie and Technology (Crimes of Profiling?)
DEJA VU, पहली बार देखी तो वैसे समझ नहीं आई, जैसे reverse back करके, कुछ साल पहले। क्यूँकि, अब तक मैं काफी सारी फिल्में और serials देख चुकी थी, जुर्म के इस मकड़जाल, सिस्टम और गवर्नेंस को समझने के लिए। कुछ ही वक्त में इतने, जितने पुरी जिंदगी में नहीं देखे। फिल्म-नाटक वगैरह से ज्यादा खबरों का शौक रहा है मुझे। बहुत ज्यादा तो नहीं, पर थोड़ी बहुत किताबें भी पढ़ चुकी थी। टेक्नोलॉजी की कई सारी किताबें, ऐसी लग रही थी, की ये सब तो तेरे साथ हो चुका, इन्हें भी क्या पढ़ना। जबकि वो टेक्नोलॉजी मेरे लिए नई थी। हो सकता है इसलिए, की उनसे सम्बंधित और बहुत-कुछ पढ़ा जा रहा था। अखबारों में या कुछ blogs में। उसपे असलियत की जिंदगी में अनुभव भी।
DEJA VU, जब पहली बार देखी तो खुंदक हो रही थी, जैसे फोड़ दे स्क्रीन को। क्यूँकि ये वो दिन थे, जब यहाँ-वहाँ थोक के भाव Privacy Violations, मानवाधिकार उलँघन और किसी द्वारा पीछा करने की शिकायतें हो रही थी। थोड़ा बहुत Map और Google Earth का ज्ञान भी था। जिसे पहली बार 2008 में, अमेरिका जाके ही प्रयोग करना शुरू किया था। तब तक भारत में उसका इतना प्रयोग नहीं होता था। अमेरिका में भी, आप उस शहर में हों, जहाँ रोड पे लोगबाग दिखते ही नहीं, सिर्फ गाड़ियाँ दिखती हैं। और छुट्टी वाले दिन, बस सर्विस भी कम। श्याम को झल्लाहट में, आप किसी दोस्त से चैट पे बताएँ, की दिन में क्या दिक्कत हुई और वो हँसके बोले, बस इतनी-सी बात। गुगल मैप प्रयोग करना शुरू करदे। यहाँ उसके बगैर गुजारा नहीं। देशी दोस्त, अपने ही होम टाउन से, जो वहाँ किसी दुसरे राज्य में रहती थी। फोन रिकॉर्डिंग सॉफ्टवेयर, वो भी थोड़े से डॉलर में और किसी का भी फोन सुन लो। ये भी पहली बार वहीं पता चला था। मतलब, टेक्नोलॉजी और उसकी आम-आदमी तक पहुँच, विकसित देशों में विकासशील देशों से तब भी पहले थी और आज भी। हाँ, कोई Google Earth से घर के अंदर तक कैसे देख सकता है या आपकी डायरी में क्या लिखा है, कैसे पढ़के बता सकता है? या आप छत पर बाहर बैठकर अखबार पढ़ रहे हों और कोई दूर किसी दूसरे शहर में बैठा, ये कैसे बता सकता है की आपने कौन-सा आर्टिकल पढ़ा और उसपे कितना वक़्त लगाया या कौन-सी लाइनों पे फोकस किया? इस फिल्म को देखकर ये समझ आ रहा था, की शायद Google Earth की रेंज ज्यादा है और बहुत से लोगों तक उसकी पहुँच भी। जो आम आदमी के पास नहीं है। कुछ इधर-उधर के आर्टिकल भी, ऐसा-ही कुछ बता रहे थे।
Scanning की तब तक भी ज्यादा समझ नहीं थी। हालाँकि Molecular Bio में Optics, Classes और Labs में प्रोजेक्टर और Printer-Scanning भी थोक के भाव प्रयोग होता है। मगर किसी के घर में उसका जुगाड़ कैसे?
सबसे बड़ी बात, ये फिल्म 2006 में बन चुकी और मेरी शिकायतें उसके काफी सालों बाद, 2012 से शुरू हुई। मतलब, इतने सालों में तो टेक्नोलॉजी और भी विकसित हो चुकी होगी। इस फिल्म में कुछ और भी है। खासकर, कुछ डॉयलोग, ditto जैसे, "मरने से पहले, आप क्या करना चाहेंगे?" और आपको लगे, ये डॉयलोग? और भी ऐसे-ऐसे कई डॉयलोग। इन सबकी थोड़ी-बहुत जानकारी, अभी पिछले कुछ सालों में समझ आई। जब किसी काफी पुरानी जूनियर ने कुछ hints दिए, की ऐसा कुछ उसके साथ भी हुआ था। ऐसे ही कुछ hints कहीं और से भी। और आपको समझ आए, की ये तो किसी और ही तरह की जंग है। और आप रिवर्स-गियर लेते हैं। ठीक इस फिल्म की तरह, कुछ तारीखों और कुछ बीमारियों की हकीकत जानने के लिए। बाकी तो कोरोना-कोविड का वक़्त, काफी-कुछ उधेड़ के फेंक ही चुका।
इसके इलावा क्या है, इस मूवी में? Patrol Crime की कोशिश है। क्या कहेंगे उसे Rape? Sex with consent? या Experiment, सच जानने के लिए? Experiments on innocent girls to destroy their lives? सिर्फ यही नहीं, बल्की "दिखाना है, बताना नहीं" और उनपे स्टीकर भी तो चिपकाने हैं, अपने कालिख Err Experiments के। अपनी लड़कियों या बहन-बेटियोँ के साथ चाहोगे, ये "सिर्फ experiment" करवाना? अब बदले की भावना कभी पुरी नहीं होती। हाँ। ज़िंदगियाँ जरूर हो जाती हैं। एक R के बाद और R ।
और जिस समाज को हकीकतों का पता ही नहीं होगा, वो कैसे पेश आएगा, ऐसी EXPERIMENTED लड़कियों से? खासकर एक ऐसा समाज, जिसमें औरतों के वैसे ही बेहाल हैं।
कुछ जानकारी जो पिछले कुछ सालों में पता चली। फिल्मों को कैसे पढ़ें (सिर्फ देखें नहीं)। क्यूँकि चैट में भी तो कोढ़ रखे होते हैं। सारी जंग ही तो कोढ़ वाली है।
हरिद्वार क्यों, कबुलपुर जा तू ते
Mi कमीशन?
मतलब इतने सालों बाद भी बदला कुछ खास नहीं।
वही ढाक के तीन पात।
आपने, देशी-अंग्रेज EDITOR
पता ही नहीं था, ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी EDITING होती हैं
R और कैंसर 2007?
(बीमारियाँ, कैसी कैसी? बेहाल है दुनियाँ, राजनीतिक बीमारियों से। ये भी कोरोना के बाद ही दिखने और समझ आने लगा है। )
Pets और नाम?
दूसरी बीवी और Foster Daughters?
सबसे बड़ी बात, कुर्सियों के कोड, सिर्फ यूनिवर्सिटी में ही नहीं, बल्की हर जगह। सुप्रीम कोर्ट में भी।
टेक्नोलॉजी और राजनीती का रंगमंच? उस वाले पड़ोसी की बाथरूम लाइट on, खिड़की 14? या खाटु झंडा, खिड़की पे। या खाटु झंडा, Satellite पे फहरा रहा है? अब Setellite conncetion Reliance है या Tatasky या ? Google Map का या गुगल Earth का, Stellite से या SMART PHONE से क्या connection? या Live Streaming से? किस तरह की optics हो सकती है? मतलब, इतना कुछ SMART PHONE से ही सम्भव है, आज। सुना है, Remote Sensing भी रोचक विषय है।
अगली किसी पोस्ट में
राजनीती के रंग, संस्कृति के संग (DEJA VU Fights and Technology)
White Black Fight? बहुत तरह के मायने हैं, सफेद और काले युद्ध के। खासकर, किसी जगह की संस्कृति और रीती-रिवाजों के, राजनीती के साथ विज्ञान के तड़कों के।
Person of Color?
Black Lives Matter?
SC, BC, OBC Or General?
Civil Or Military Products?
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