सबसे ज्यादा वक़्त आप कहाँ बिताते हैं ?
अपने आसपास के लोगों के बीच ? कौन हैं वो आपके आसपास के लोग ?
उसके इलावा ?
संगीत, अख़बार, टीवी, इंटरनेट या सोशल मीडिया ?
आपके दिमाग पे कितना प्रभाव डालता है ?
आपकी ज़िंदगी उन्हीं सब का आईना है। आपके परिवार और बच्चों का भी।
संगीत से शुरू करें? क्या संगीत के द्वारा भी किसी तरह की Mind Programming या Editing संभव है? पिछले कुछ सालों से कई सारे छोटे-बड़े home appliances को खोल या उधेड़ डाला। पता नहीं क्या जानने के लिए। इंसानों को खोलने या उधेड़ने से तो अच्छा है ना? लैपटॉप पे वो काम अभी तक Registry Edit नोटिस करने तक ही रहा। ऐसा ही थोड़ा बहुत फ़ोन का।
सोचो कोई किसी बुजर्ग को कोई फ़ोन लाके दे जिसमें कुछ भजन वैगैरह भी हों। इससे पहले उस तरह के भजन सुनते मैंने उन्हें कभी नहीं देखा। हाँ। संगीत सुनने के शौक़ीन जरूर रहे हैं मगर ज्यादातर पुराने बॉलीवुड गाने या स्कूल के प्रार्थना टाइप गाने।
पता नहीं क्यों मुझे कुछ अजीब लग रहे थे उनमें कुछ भजन। और एक दिन ऐसे ही जब जिज्ञासा वश फ़ोन देखा तो शायद मेरा संदेह सही जा रहा था। उस फ़ोन में फोटो देखने की सुविधा है ही नहीं। और ये कौन महाराज या साध्वी, जिनकी फोटो गानों के साथ उस फोल्डर में डाल दी गयी थी? और कुछ खास सीरीज या फोल्डर भी? ऐसे भी कोई Editing या Mind Programming संभव है? और कुछ नहीं तो एक ठप्पा या अपनी किस्म की मोहर लगाने जैसा जरूर लगा। हो सकता है जिसने वो फोन या चिप दी हो उसे भी ना पता हो, जैसा की ज्यादातर ऐसे केसों में होता है। मगर उसके उप्पर ये सब पहुँचाने वाली कड़ी या कड़ियों को तो जरूर पता होगा? ये बाबे-साबे, महाराज- वहाराज, मुझे तो वैसे भी सही नहीं लगते। उसपे उनके आशीर्वाद देने या बैठने के पोज़। कैसे गुरु, कैसी भक्ति और कैसा भक्ति संगीत?
Cult Politics -- interesting subject, having interesting designs of so many types .
No comments:
Post a Comment