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Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Monday, July 3, 2023

दोहरी मार

अनपढ़ गंवारों, -- भोले-लोग बोलना चाहिए शायद, जिन्हें आसानी से बहकाया या इधर या उधर किया जा सकता है, की कहानियाँ तो बहुत सुनी होगी आपने? कैसे बाबे, भोले लोगों को अपने जाल में फँसाते हैं? उनकी औरतों का शोषण करते हैं और एक-आध आदमी को घर से भी उठा देते हैं। कभी-कभी तो दुनियाँ से ही। यही नहीं, इसका जिम्मेदार भी वो, घर के ही किसी आदमी को ही ठहरवा देते हैं। इसे बोलते हैं, एक तीर से दो वार। पीछे की किसी तंत्रिक-विद्या या तंत्र का अर्थ कुछ लोगों ने, कुछ अजीबोगरीब बाबाओं से जोड़ दिया शायद। घोरी, अघोरी और पता नहीं क्या-क्या बकवास। यहाँ विज्ञान, तर्क और संवाद की बात मिलेगी। जो ऐसे-ऐसे बाबाओं से बिलकुल उल्टा है। या यूँ कहो की ऐसे-ऐसे लोगों की पोलपट्टी खोलने का काम करता है। ठीक वैसे ही, जैसे टोने-टोटके और उनके पीछे छिपे जुर्म या राजनीतिक रंगमंच के Show, Don't Tell की कहानियाँ। चालें चलना (Tricks), कोई जादु नहीं है। क्युंकि, इनमें आमजन को जो दिखाया या सुनाया जाता है, हकीकत उसके परे होती है। गुप्त होती है।
    
जहाँ फुट डालो राज करो में, न जाने कैसा-कैसा भूसा, लोगों के दिमागों में डाला जाता है। ऐसा ही कुछ, यहाँ-वहां की कहानियाँ हैं। 

कोई कहे की लड़कियां दो हैं और लड़का एक। शादी तो एक की ही हो सकती है। 
चलो कोई नहीं। दूसरी की कहीं और हो जाएगी या न होगी तो भी चलेगा। सारी दुनियाँ कहाँ शादी करती है? फिर बच्चे तो गोद भी लिए जा सकते हैं। उससे अच्छी फॅमिली क्या होगी, जहाँ जरूरतमंद बच्चों की मदद भी हो सके और बेवज़ह लोगों से बचा भी जा सके।  
ना। दूसरी की भी तब होगी, जब एक की ऐसी-तैसी होगी। और बच्चे आपको गोद लेने नहीं दिए जाएंगे। यहाँ किसी बच्चे को भी सामान्तर केस घड़ाई में धकेला जाएगा। वो भी उसके अपने और आसपास के गवाँरपट्ठों को शामिल करके। 
ये कैसे लोग हैं? और कैसी शादी? बेहुदा लोग बच्चों तक को नहीं बक्शते? 

बाबाओं के जालों में फंसे हुए अनपढ़-गँवार (अंजान, अनभिज्ञ) लोग? अरे नहीं, इनमें पढ़े-लिखे बाबाओं के जाल में फँसे, पढ़े-लिखे गँवार भी मिल जाएंगे। फिर कम पढ़े लिखे लोगों को क्या बोलें?   

लड़कियाँ दो हों। एक की शादी हो रखी हो। मगर अपने मायके बैठी हो। जिस किसी भी वजह से या झगडे से। या आपस में बनती न हो। जो सिंगल हो अगर उसे बोला जाए, की तू अपनी ऐसी-तैसी करवा, उसकी गृहस्थी सही तब चलेगी। 
ये कैसी गृहस्थी? और ये कौन लोग हैं ये सब बोलने वाले? ऐसे लोग अपने हो सकते हैं क्या? या गँवार ही कुछ ज्यादा है? उसपे अपने को समझदार होने का ढिंढोरा भी पीट रहे हों?   

लड़के की बीवी, बच्चे समेत घर बैठी हो। और किसी पड़ौसी की लड़की को बोला जाए की तू इसका जुठा बल्ला- बल्ला खा ले, तो वो वापस ससुराल आ जाएगी। या पड़ोस की विधवा औरत को कुछ और अनाप-सनाप। 

इनके लड़की हो गयी। लो भई हो गया 50-50 
इनके लड़का। ये हुआ ना अब 100 % 

आम आदमी को तो शायद यही समझ आएगा की कैसे बेहुदा गँवार लोग है। नहीं ? मगर इन इतनी महान सोच के लोगों को कैसे समझ आता होगा ये सब ? या इनके दिमाग में ऐसी खरपतवार कहाँ से आती होगी? उसपे कुछ लोगों को ये भी समझ आ रहा हो की कहाँ और कैसे जाहिलों के बीच फंसे हो, निकलो वहाँ से।   

गुफाओं को टटोलें और इन सबके तार कुछ महान, इधर या उधर के राजनीतिक घरानों या उनके आसपास के जंजालों के आसपास मिलेंगे। जो दिमागों की Programming में माहिर है। कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे बड़ी-बड़ी कम्पनियाँ, अपने उत्पाद बेचने में। आदमी भी ऐसे लोगों के लिए किसी उत्पाद से ज्यादा नहीं है। ऐसे जालों की सबसे खास बात, की अगर इनके कोई पढ़ा-लिखा, तर्क करने वाला इंसान पल्ले पड़ गया या पड़ गई, तो सोचो क्या होगा? शायद उस इंसान की अब खैर नहीं?    

दिमागों की Programming को कैसे समझा जाए? संपादन (Editing), खासकर Registry Editing से जो समझ आया। इनके जानकार, शायद मुझसे कहीं ज्यादा बता पाएं। पर जितना अब तक मेरी समझ आया वो तो आमजन से सांझा किया ही जा सकता है। आगे की पोस्ट्स में। 

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