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Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Tuesday, April 30, 2024

आपकी या आपकी जगह की पहचान क्या है?

शायद आप कहें की अलग-अलग जगह, अलग-अलग लोगों के लिए, अलग-अलग हो सकती है? निर्भर करता है की आप किससे पूछ रहे हैं? आपका कोई अपना या आपका कोई हितेषी? या आपका कोई दुश्मन या बुरा चाहने वाला? ऐसे ही जैसे अलग अलग तरह की प्रेजेंटेशन, एक ही विषय पर? 

क्या आपका पता या पिन कोड या एक ही गाँव या शहर का पता, आपकी अलग-अलग पहचान बताता है? जैसे 105? एक तरफ किसी ऑफिस में कोई रुम नंबर हो, और दूसरी तरफ किसी गाँव के पते में पिन कोड से अलग कोई नंबर? उसे कहीं और के पिन कोड से जानने की कोशिश करें तो क्या बताएगा? कुछ भी नहीं? या शायद बहुत कुछ, वहाँ के सिस्टम की आपसी पहचान या रंजिश के बारे में?

105 एक नंबर किसी गाँव के पिन कोड से अलग। जहाँ का पिन कोड 124111 

एक और पिन कोड नंबर 125 उसके पीछे कुछ और नंबर हो सकते हैं। या एक और पिन कोड नंबर 221 और उसके पीछे कुछ और नंबर? या 442 और उसके पीछे कुछ और नंबर? या 500 और उसके पीछे कुछ और नंबर? या 124 और उसके पीछे कुछ और नंबर? या 110 और उसके पीछे कुछ और नंबर? या 131 और उसके पीछे कुछ और नंबर? सुना है और थोड़ा बहुत समझ भी आया है की बहुत कुछ बताते हैं। फिर चाहे वो देशी नंबर हों या अंतर्देशीय। अब ऐसे कौन पढता है? गुप्त सिस्टम दुनियाँ भर का। फिर चाहे वो सेना हों या सिविल। दुनियाँ भर की सरकारें वैसे नहीं चलती, जैसे आम आदमी सोचता है। वैसे चलती हैं, जैसे किसी भी समाज का खास आदमी सोचता है। जैसे-जैसे आम आदमी को इस सिस्टम की खबर होती जाती है, वैसे-वैसे खास और आम आदमी का अंतर कम होता जाता है।      

कितनी सारी हमारी IDs (पहचान पत्र), ऐसे ही गुप्त सिस्टम द्वारा हमपर या किसी भी जगह पर चिपकाए गए सिस्टम के बारे में बताती हैं। वहाँ की नीतिओं (Policies) का हमें कितना फायदा या नुकसान होगा, उसकी तरफ इसारा करती हैं। 

आपकी पहचान और कितनी ही तरह के स्टीकर

Location Or Geolocation? 

आप फिलहाल कहाँ हैं? जहाँ हैं, उसके आसपास कौन हैं? वो स्थान काफी हद तक आपकी ज़िंदगी निर्धारित कर रहा है। आपकी ज़िंदगी के उतार-चढ़ाव, बिमारियों या ज़िंदगी कितनी होगी, इसका भी निर्धारण कर रहा है। एक गंदे पानी का तालाब या छोटी सी लेट (lake type) है। उसके चारों तरफ या तो खाली प्लॉट पड़े हैं या गीतवाड़े। बिटोड़े या गीतवाड़े, हरियान्वी में उस जगह को बोलते हैं, जहाँ गाय-भैंसों के गोबर के उपले बनाए जाते हैं। ज्यादातर औरतों द्वारा। ऐसे-ऐसे काम पिछड़े वर्गों में खासकर, औरतों के होते हैं। ये 20-25 साल पहले की बात थी।  

धीरे-धीरे यही गीतवाड़े, घेर और फिर घरों में तब्दील होते जाते हैं। पेड़-पौधे साफ़। खाली जगहें खत्म। और ईंट और सीमेंट के घर बनने लग जाते हैं। क्यूँकि, जो लोग गाँव छोड़कर कहीं बाहर नहीं जा रहे, वो गाँव के अंदर के पुराने मकानों को छोड़ कर, इन खाली प्लॉटों या गाँव के पास के खेतों का रुख कर रहे हैं। अब ये गाँव के गंदे पानी का तालाब भी, आसपास के लोगों की दिक्कत बनता जाता है। इसलिए और लालच में भी, आसपास के घरों के लोग इसे घेरने लग जाते हैं। धीरे-धीरे तक़रीबन पूरा का पूरा तालाब खत्म। उसमें और उसके आसपास रहने वाले कितने ही जीव-जंतु खत्म। 

खाली पड़ी जगहों की ऐसी-ऐसी कहानियाँ, हर गाँव या शहर के बाहरी इलाकों में खासकर आम हैं। इस गाँव के गंदे तालाब को घेरकर या आसपास बने घरों या घेरों की जगहों के कोई नंबर तो नहीं हैं। तो उसे सिस्टम या राजनीती, कैसे अपने कोढों के अनुसार ढाल सकती है? कैसे अपने स्टीकर इन जगहों पे चिपका सकती है? इस जीव-जंतुओं तक पे स्टीकर चिपकाने वाले सिस्टम की खासियत ही ये है, की ये ना खाली जगहों को बक्सता है और ना ही दूर-दराज़ के इलाकों को। वो फिर आपके गाँवों या शहरों की खाली पड़ी ज़मीने हों या आर्कटिक या अंटार्कटिक, वो चाहे सहारा मरुस्थल हो या भारत का रेगिस्तान। वो मध्य प्रदेश के दूर-दराज़ के इलाक़े हों या छत्तीसगढ़ के पहाड़ी या समतल खेतों के इलाक़े। 

अगर हम बोलें मोदी, तो दिमाग में क्या आएगा? भारत का प्रधानमंत्री? या सुनारियाँ की जेल में कोई लड़की, मगर  नाम मोदी? या हमारे आसपास का कोई मोदी, जो पीता भी है और अकसर झगड़ता भी है। मगर, उससे भी ज्यादा उसकी पहचान, किसी सिस्टम में शायद कुछ और है? बीवी का कोई गोत्र और 2005 में शादी? भाईयों में सबसे छोटा और नंबर चार? और भी छोटी-मोटी जैसे हर इंसान की ढेरों कहानियाँ होती हैं, यहाँ भी हो सकती हैं? किसको क्या फर्क पड़ता है? हर इंसान एक कहानी है। किसी ना किसी पार्टी की, चाहे कितनी ही छोटी-मोटी पहचान या इनके युद्धों या अखाड़े की कोई कील या सुराग या कड़ी या शायद गुम या अदृश्य कड़ी (missing link) ही। पार्टियों के दाँव-पेंच, हर कील को या कड़ी को या गुम या अदृश्य कड़ी (missing link) तक को प्रभावित करते हैं। कौन कहाँ रहेगा, कहाँ नहीं रहेगा, कौन किस जगह को हड़पेगा या किस जगह को घेरेगा, कौन कहाँ जाएगा या कहाँ नौकरी करेगा या नहीं करेगा, इन सबका निर्धारण काफी हद तक वहाँ की राजनीतिक पार्टियों की खिंचतान करती है। आप शादी करेंगे या कुँवारे रहेंगे? कितने बच्चे होंगे या नहीं होंगे? एक शादी होगी या ज्यादा होंगी? 

अगर पार्टियों ने किसी जुए में कोई नंबर रख दिए, तो इसका काफी हद तक निर्धारण किसी के कितने बच्चे हैं, या वो कितने भाई-बहन हैं? या उनके माँ-बाप कितने भाई-बहन हैं? इस पर निर्भर करता है? मुझे ऐसा ही समझ आया। अगर उसमें कोई राजनीतिक पार्टी बदलाव करने या लाने की कोशिश करती है, तो वो उनके लिए सही नहीं है। कुछ-कुछ wrong identity या wrong identity crisis, wrong code, wrong number जैसे? गलत पहचान और उस गलत पहचान के अनुसार, उस घर या घरों के लोगों को चलाने की कोशिशें। गोटियाँ जैसे। ऐसी गलत पहचान पे लोगों (गोटियों) को चलाने का फायदा, उस नंबर की असली पहचान वाले लोगों को होगा। राजनीतिक पार्टियों को इससे फर्क नहीं पड़ता। क्यूँकि, उनका जुआ और जुए के दाँव आपके अनुसार नहीं, उनके अनुसार हैं। इसीलिए जुए में अकसर बड़े लोग हारकर भी नहीं हारते। और छोटी-मोटी गोटियाँ, यहाँ-वहाँ दाँव पर, पीटती, लूटती, गिरती, पड़ती या मरती  रहती हैं। किसे फ़र्क पड़ता है?

फ़र्क इससे पड़ता है, की आपको आपकी असली पहचान मालूम भी है, की नहीं? आपका दिमाग उसे पहचानने में ही गड़बड़ तो नहीं करने लगा? आपको या आपके अपनों को उस पहचान में, उलटफेर की ट्रेनिंग तो नहीं दी जा रही? बड़े लोग (so-called) अपनी पहचान नहीं छोड़ते। उल्टा, अपने स्टीकर हर किसी पे चिपकाने की कोशिश में रहते हैं।  छोटे लोगों (so-called) की कोई पहचान ही नहीं होती। जिस किसी का स्टीकर अपने पे चिपकवा लेते हैं। और अपना सब, उन स्टीकर वालों के हवाले कर देते हैं। इन स्टीकरों को पहचाने कैसे?

बहुत तरह के स्टीकर हैं। जैसे  

सबसे बड़ा स्टीकर है, आपका पता। आप कहाँ रहते हैं। वो जगह आपके बारे में और आपके परिवार के बारे में या परिवेश के बारे में, अड़ोस-पड़ोस के बारे में, आपके गाँव, मोहल्ले, शहर, राज्य या देश के बारे में काफी कुछ बताती है। उस काफी कुछ में आपका पढ़ाई-लिखाई का स्तर, आपकी वित्तीय स्तिथि, आपका रहन-सहन, शांति या लड़ाई-झगडे, स्वास्थ्य या बीमारियाँ, और आपकी ज़िंदगी कितनी लम्बी या छोटी होगी। अच्छी या बुरी होगी? और भी कितना कुछ आ जाता है। तो क्या सब शहरों की तरफ या अच्छे पिन कोडों की तरफ भाग लें? या शायद चंडीगढ़ जैसे शहरों को भी, किन्हीं कोडों में गाँव का दर्जा मिला हुआ है। ऐसे से या इससे बेहतर गाँवोँ के पते घड़ डालें?   

Monday, April 29, 2024

मुझे खबरें कहाँ से और कैसे मिलती हैं?

2005 

V अत्री: भाई का ब्याह होग्या? सबते छोटा बाज़ी मारग्या और बड़े? पार्टी तो बनती है। 

V दांगी: हाँ। बिलकुल बनती है। क्या खाना है?

और लो जी, पार्टी हो गई। क्या खाया? याद नहीं। उस पावर हाउस के पास, छोटे-से रेस्टोरेंट का नाम क्या था? याद नहीं। उस पार्टी में कौन-कौन थे? वो भी ढंग से याद नहीं। अब कम्प्युटर थोड़े ही हैं? इतने सालों बाद, इतना याद कहाँ रहता है? एक ज़माना बीत चुका जैसे। 

ये फ़तेह सिंह? ये कौन है भई? Friend List Suggestions में आ रहा है, बार-बार। फोटो की जगह खुद की फोटो नहीं और पोस्ट वगरैह सब ब्लॉक। ओह हो। तो ये कालिया है? Captain V Atri? अब कहाँ का कैप्टेन? अब तो पोस्ट भी कुछ और ही हो गई होगी।  

उसके सालों बाद, कोई दूर का रिलेटिव, दीदी कैप्टेन बोल रहा हूँ, कुछ-कुछ ऐसी-सी ही, मगर अजीबोगरीब नौटंकी खेलता है। और आपको ये अजीबोगरीब जाले से पुरते ड्रामेबाज़ समझ नहीं आते। हमने तो किसी को आप तक नहीं बोला, अगर सीनियर ना हो तो। फिर ये पोस्ट टाइटल क्या बला होता है? उसपे दीदी बोलके? फिर लगता है, कहीं ये भाई कैप्टेन वाला तो गैंग नहीं? ऐसे संबोधन शायद वहीँ होता है?     

वैसे Vi से Virus कैसे बनता है?

जब Vi  R और US या us अलग-अलग सा कुछ हो? Vijay Dangi female नहीं male हो? 

अरे Vijay Dangi नहीं, सिर्फ Vi? बस यही दो शब्द मिलते हैं, इन दो नामों में। बाकी कुछ नहीं।  

ये फ़तेह सिंह कब लगाया तुने? ये कैसे बना? और फिर वापस वही नाम आ गया? मतलब Virus वापिस? अब इसका फतेहाबाद से क्या लेना-देना? 

अबे कमीनों। इतने सालों से गोबर-गणेश खेल रहे हो। कभी लगा नहीं की बता देना चाहिए, ये कौन-सा और कैसा गोबर-गणेश है?

और ओह हो। पंडित जी, आप? बाहमण के? या कालिये? आपको तो कुछ "मालूम ही नहीं? चल क्या रहा है?" वैसे ये ट्विटर पे jack line Farnandis, नहीं Jacqueline Fernandez वाली पोस्ट कुछ समझ नहीं आई? H#16, टाइप-3, वाला JACK फल वाला पौधा है? या गाड़ी का jack, जो टायर बदलने में काम आता है? या hijack टाइप कुछ? मेरे स्टुडेंट्स ने मेरी i10 के बड़े टायर खराब किए। पंचर ऐसे की, टायर ही ख़त्म। और फिर कमेंट्री भी, मैडम गाड़ी hijack हो गई। कैसे बदतमीज़ स्टुडेंट्स हैं। और कैमरा रिकॉर्डिंग मांगो, तो वो उससे भी बदतमीज़। मैडम वहाँ तो कैमरा ही नहीं है। चाहे चारों तरफ कैमरे हों।  

कितने टायर तो पुलिस लाइन के सामने वाली टायर शॉप से लिए। जब कोर्ट में ऐसे सबुतों की बारी आई, तो दुकान ही वहाँ से गुल। और कमेंट्री, हम सबूत ही नहीं, सबुत देने वाले को ही गुम कर देते हैं। कितने ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे केस भुगते होंगे ना, की virus का उदय फिर से हुआ?

कमीनों वाली इस फोटो में कुछ और भी बच गया क्या?

भाई का ब्याह, दुबारा 2023 में?  ब्याह? या? Vi Raj Maan प्रस्तुत हों? महाराजा, दही-राज, ओह हो। Dhee-raj? पधार रहे हैं? और कैसे-कैसे लडुओं के साथ? बालकां नै टेक्नोलॉजी पढान की बजाय, हम उड़ना सिखाते हैं। या उड़ाना? दुनियाँ से ही ख़त्म कर देना? बच्चों तक को ख़त्म कर देते हैं लोग। कैसे इंसान होंगे जो ऐसा करते हैं? पर राजनीती में सब जायज़ है? वैसे कुछ लोगों की सोशल पेज पे बिमारियों से सम्बंधित कुछ नहीं मिला। कोई हिंट तक नहीं। समझ नहीं आया, की ऐसा क्यों?   

Fly भी, कैसी-स्टेज पे उतारने की? आप भी लाओ, अपनी बालाओं को?

अरे तुमने गुड़िया को डांस से मना कर दिया। करने देती, तो क्या हो जाता?     

बोले तो कुछ भी? आपको खुद को पवित्र साबित करने की जरुरत है? वो भी कैसे-कैसे अखाड़ों में? जो सबुतों को ही नहीं, सबुत वालों को या जगहों को ही खा जाते हैं? क्या सिद्ध करना चाहोगे वहाँ तुम? और बच्चों तक को, जो ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी सामान्तर घड़ाइयों का हिस्सा बनाना चाहें? बनाने देंगे आप उन्हें? जानते हुए भी, की परिणाम क्या हो सकते हैं? एलियन जहाँ जैसे?

कुछ-कुछ ऐसे?    


किसे के मायके या ऑफिस में, ऐसे-ऐसे घुसपैठिये घुसे हुए हों, तो क्या कर लोगे? 

मुझे खबरें कहाँ से और कैसे मिलती हैं? ये और ऐसी-ऐसी सोशल साइट्स भी जोड़ लो। मैं इन्हें जानती हूँ? मेरे को लगता तो नहीं ? चलो इसपे एक जोक सुनाती हूँ। जोक?

भाभी के जाने के बाद, माँ का घर आना कम हो गया था। क्यूँकि, अब वो ज्यादातर भाई के घर पे ही रहती हैं, गुड़िया की संभाल के लिए। एक दिन माँ अपने घर वाली एक अलमारी पे ताला लगा गई। और कहीं खबर मिलती है, भाभी ने ताला लगा दिया, पर रस्ते और भी हैं। और आप सोचें, ये क्या बकवास है? लोगों के इस खेल में, क्या का क्या बनता है? बोले तो कुछ भी?    

ऐसे ही जैसे, एक दिन मोदी के घर..... .... मोदी भी पता ही नहीं, कैसे कैसे हैं? कहीं मोदी लड़की मिलेगी और कहीं?   

ऐसे ही जैसे, एक दिन फलाना-धमकाना के घर और...... ..... 

पता ही नहीं कितने ही ऐसे हैं। ये इधर, ये उधर, ये किधर? कौन-कौन और किस, किसके घर घुसा हुआ है? या कहो घुसे हुए हैं और कैसे-कैसे? और महारे गाँवों के शयाने? या भोले? अनभिग, की कौन-कौन और कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे देख-सुन रहे हैं? घर वालों तक से या अड़ोस-पड़ोस तक से ऐसे छुपाते हैं, जैसे किसी सीक्रेट दुनियाँ में रहते हों। इसीलिए कान ज्यादा कटवाते हैं? और कानों के कच्चे भी ज्यादा हैं? दुनियाँ, आज कहाँ है, उन्हें पता ही नहीं। वैसे गाँव क्या, कुछ सालों पहले बहुत-से ऑफिस के लोगों तक को पता नहीं था, की ये सर्विलांस बला क्या है?    

एलियन मतलब छट (6?) 26? या शायद? जानते की कोशिश करते हैं, अगली किसी पोस्ट में।                

कैसे चुनाव? किसके चुनाव? किसके द्वारा हैं, ये चुनाव?

लुभावने गाने, 

लुभावने नारे, 

कितनी ही तरह के 

हैं सब कितने प्यारे-प्यारे?

खासकर, जब चुनाव हों?  

चुनाव? सच में?

कैसे चुनाव?

किसके चुनाव?

किसके द्वारा हैं, ये चुनाव?  

वो जनता जिन्हें सपने दिखाते हो, 

ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे? 

सच में उनके लिए काम करते हो?

या ये खेल, रेलम-रेल, पेलम-पेल, कुछ और ही है?    

Peppy songs, 

Catchy slogans 

Of different hues 

Of different parties 

But 

What's there for people in these elections? Especially when so many people or parties can do so much better than what they are doing.

कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, जैसी-सी कहानियाँ

अभी पिछले साल (?) दो भाई-बहन दुबई की सैर पे गए। हाँ, तो क्या खास है? दुनियाँ जाती है। बहन की फिर शादी हो गई, इंटरकास्ट और भाई ने ज़मीन हड़प ली, किसी अपने की ही। होता रहता है, इसमें भी क्या खास है? किसी पियक्कड़ की ज़मीन, कोई भी हड़प ले? फिर ये तो शायद किसी अपने ने ही ली है, protection के लिए। बिचौलिया अहम है।   

सोचो इन सबका दुबई-बाढ़ से क्या लेना-देना?    

रैली पीटें थोड़ी? भाई-बहन की? बिचौलिए की? ऐसी शादी की? और ऐसे protection की? ये रैली कौन और किसकी पीट रहा है? या पीट रहे हैं? कहाँ-कहाँ और किन-किन लोगों की? कौन-कौन पार्टियाँ या उनके कर्ता-धर्ता? इस सबका किसी को दुनियाँ से ही खिसकाने से भी कोई लेना-देना हो सकता है? खिसकाने वाले कौन और नाम किसका लगाने की कोशिश हुई? अजीबोगरीब जाले हैं, ना? वहाँ फिर क्या लाकर रख दिया? किसने और कैसे? ये कौन अपने हैं, जिन्होंने ये सब रचा? आम आदमी? उसकी समझ से बाहर है, ये कहानी। या ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी, कहानियाँ। ये वो बता सकते हैं, जो आदमी को रोबॉट बनाते हैं। वो फैक्टरियाँ, जो दुनियाँ भर में ये सब करती हैं। अहम? कैसे? और आम आदमी को ये सब कैसे समझ आएगा? उसके लिए उसे कैंपस क्राइम सीरीज़ को समझना होगा।        

अच्छा ये ED-ED क्या है? ये ED-ED? कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे EC-EC?      

ED के आगे B लगे तो क्या बनता है? B. ed? या B. ED? या Bed? या खाटू? खाटू के कितने रंग हैं? झंडे के? इतने क्यों? ये हिन्दू है? मुस्लिम है? क्रिस्टियन? या सिख?

B. ED कितने में होती है?

जो B.ED करवाते हैं, वो खुद कितने पढ़े-लिखे हैं? 75000, एक साल के, एक B.ED करने वाला देता है? एक साल में, एक ही कॉलेज से कितने B.ED करते हैं? ये so-called कॉलेज वाले, एक साल में सिर्फ B.ED से ही कितना कमाते हैं? वो भी शायद, घर बैठे? टीचर्स क्या करते हैं? और उसके बावजूद कितना कमाते हैं? उनकी कमाई घर बैठे-बैठे ही कौन-कौन खा जाता है? क्यों? वो इतने नालायक क्यों हैं? कैसी डिग्री के लिए इतने पैसे देते हैं? ये शायद वो प्रश्न हैं, जो मुझे रितु (भाभी) ने या उस वक़्त मेरे कुछ अपनों के यहाँ विजिट्स ने समझाए। बहुत कुछ उसके काफी बाद में समझ आया। शायद ये भी, की रितु को और उसके घर को कौन खा गए? और नाम फिर किसका लगाने की कोशिशें हुई? 


ये भी की आज तक यूनिवर्सिटी, मेरा पैसा क्यों रोके हुए है?

ये भी की भाभी के जाते ही, ये किस खास अपने बिचौलिए ने, so-called अपनों को ही, दूसरे भाई की ज़मीन थमा दी? 

बहुत से so-called अपनों के शब्द भूलते नहीं हैं। जम गए हैं, जैसे कहीं। जैसे, "देख दम, मेरी आपणे घर मैं भी चालय, अर थारे भी। थाम भी चला लो न (माँ-बेटी)।" भाभी के जाने के बाद, जब बुआ-दादी को भी किनारे करने की कोशिशें हो रही थी। और गुड़िया को कहीं और पार्शल करने की। कहना तो चाह रही थी, की चाल्या तो तब करेय ना, जब कोई चलाना चाहे। पर ना वक़्त था इतना बोलने का और ना अकसर मन होता, ऐसे गँवारों से तू-तू, मैं-मैं करने का। यहाँ तो यही नहीं समझ आता, की लोग दूसरों के यहाँ अपनी चलाना क्यों चाहते हैं? अपनी ज़िंदगी अपने अनुसार चल जाय, वो बहुत नहीं होता? ज्यादातर, अपना शरीर ही नहीं चलता, अपने अनुसार तो। पता नहीं कब, कहाँ और क्या हो जाता है? और ठेकेदारी औरों के घर, अपने अनुसार चलाने की चाहतें? पता चल गया होगा अब तक तो, ऐसे लोगों को भी थोड़ा-बहुत शायद? ये वो दुनियाँ है, जहाँ बीमारियाँ और ऑपरेशन तक, राजनीती के कोढों के अनुसार होते हैं। इधर वालों को कोई पार्टी धकेल रही होती है और उधर वालों को कोई और। काटते रहो, एक दूसरे को ही।  

बहुत ज़बरदस्त खिचड़ी पकी होती है, ऐसे सामान्तर घड़ाईयोँ में। और भी अहम। ये घढ़ाईयाँ घड़ती राजनीतिक पार्टियाँ हैं। और आम-आदमी, एक-दूसरे को ही कौस रहा होता है। कैसे?

जैसे एक भाभी ने बताया की उसने B.ED करने के 60000 एक साल के दिए थे। तो दूसरी ने बताया, 75000 लेते हैं। नहीं। ये उन्होंने नहीं बताया। मैं जहाँ कहीं जाती, अकसर वहाँ उन लोगों के पास कहीं से भी फ़ोन आ जाते थे, उन्होंने बताया? उसपे कमेंट्री फिर कहीं, किसी आर्टिकल में, या सोशल मीडिया पे मिलती, की यहाँ घड़ाई क्या चल रही है। बहुत-सी पार्टियों की इधर या उधर पहुँच या घुसपैठ, कुछ हद तक ऐसे समझ आई।  

ऐसे ही जैसे, जब कुछ अपनों ने बोला, तुम अपना हिस्सा क्यों नहीं ले लेते। इस सोशल मीडिया या आर्टिकल्स ने ही बताया, की ये सब क्या था। Indirect ways to inform about indirect tunnels of different parties . अलग-अलग पार्टियों के अलग-अलग तरह के उकसावे, तरीके फूट डालो, राज़ करो के? 

आप जहाँ कहीं जाते हैं या देखते हैं या समझने की कोशिश करते हैं, यूँ लगता है, ये तो इन्हीं के खिलाफ रखा हुआ है। और ये, ये सब ऐसे कर रहे हैं, जैसे किसी और के खिलाफ। ऐसे ही शायद, जैसे कोई आपको चिढ़ाने या तंग करने की कोशिश में, खुद की ही रैली पीटने लगें?   

कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमति ने कुनबा जोड़ा? जैसी-सी कहानियाँ हैं ये। इधर भी और उधर भी।          

दुबई में बाढ़?

इससे पहले भी कभी सुना की दुबई में बाढ़ आई हो? मैंने तो नहीं। हो सकता है, मेरी जानकारी में ना हो। अभी जो दुबई बाढ़ का जिक्र हुआ, वो कौन-कौन से चैनल्स पे हुआ? अहम?

उन्हीं चैनल्स पे क्यों हुआ? बाकी पे क्यों नहीं?

जिन-जिन चैनल्स पे हुआ, वो किस-किस पार्टी के हैं? या किनके पक्ष में हैं? और भी ज्यादा अहम है, शायद?

चलो मान लिया की सच में बाढ़ आई। तो ऐसा कैसे संभव है? क्या बाढ़, आँधी, भूकम्प जैसी प्राकृतिक आपदायेँ, कृत्रिम रुप से लाई जा सकती हैं? अगर हाँ, तो कैसे? कहाँ-कहाँ, ऐसी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का प्रयोग हो रहा है? और कहाँ-कहाँ दुरुपयोग?     

बच्चों की किताबों को थोड़ा अपडेट करने की जरुरत है। अगर वो अपडेट ना भी हों, तो भी कम से कम टीचर्स को तो ये काम अपनी जिम्मेदारी समझ करना चाहिए। 

साथ में ये भी बताएँ की प्रकृति से ऐसा खिलवाड़, इंसान के लिए कितना फायदे या नुकसान का सौदा है?

कुछ-कुछ वैसे ही, जैसे इस या उस पार्टी के कोढ़ के अनुसार, बिमारियों की भरमार। जैसे ना हुई बीमारियाँ बनाई जा रही हैं या कहो की घड़ी जा रही हैं। वैसे ही रेगिस्तान जैसे इलाकों में बाढ़ है। 

टेक्नोलॉजी और पैसा इतना ही फालतु है, तो अमेरिका जैसे देश, एरिज़ोना जैसे राज्यों में कैक्टस की बजाय, कुछ अच्छा क्यों नहीं उगाते? भारत जैसा पिछड़ा देश, मुंबई जैसे शहरों में ऐसे एक्सपेरिमेंट की बजाय, राजस्थान जैसे इलाकों को क्यों नहीं हरा-भरा कर लेता? संभव तो शायद बहुत कुछ है मगर?

मानव रोबॉटों और मानव रोबॉट फैक्टरियों की "अजीबोगरीब-कहानियाँ"

वो तुम्हारे अपने तो हैं 

मगर वो उन अपनों के घरों में और दिमागों में 

कुछ ऐसे घुसे हुए हैं 

की काम उन्हें ,

तुम्हें और खुद को ही गिराने का दिया हुआ है।  


वो जो खुद के ही ना हुए, 

वो तुम्हारे कैसे होंगे?

क्यूँकि, आगे बढ़ने वाले 

दूसरों को भी साथ लेकर आगे बढ़ते हैं। 


मगर, जो कहें, खुद तो आगे बढ़ेंगे 

वो भी तुम्हे दल कर? 

और तुम्हें ही प्रयोग कर? 

वो भी तुम्हारे अपने और तुम्हारे अपनों के खिलाफ? 

वो अकसर खुद भी, 

कहीं ना कहीं शायद, अटक और भटक जाते हैं?  


केस स्टीडीज़, जो अचंभित-सा करती हैं, फैली पड़ी हैं, चारों तरफ।   

दुबई बाढ़ से ही शुरू करते हैं। 

Thursday, April 25, 2024

दिमाग और तंत्रिका तंत्र?

16 मतलब?

शिव?
ये 16 + (plus) है 
या T? 
या जीसस का चिन्ह?

या?  
विज्ञान को पढ़ें?

आस्थाओं को?

राजनीती और टेक्नोलॉजी को?

या छल-कपट को?

या इन सबकी खिचड़ी को? 

इस 16 और 6 के बीच जैसे, सारा समाज आ जाता है। 
नहीं?

इतना भला गानों में कौन देखता-समझता है? लिरिक्स सुनते हैं और उन्हीं में रम जाते हैं?

ये नंबर कुछ और भी हो सकते हैं 
ऐसे ही गाना या विवरण या वर्तान्त (narrative) 
या धारणा या अवधारणा (perception) भी कुछ और हो सकता है 

 दिमाग और तंत्रिका तंत्र? 
या 
Brain and Neural Networks और AI?

के बीच जैसे, सारा समाज आ जाता है। 
नहीं?

तंत्रिका तंत्र, जो सन्देश को इधर से उधर पहुँचाने का काम करता है। और दिमाग, आपको समझ क्या आया? उसके अनुसार, और आपके परिवेश के अनुसार, किसी भी विषय-वस्तु को देखता है और समझता है।  

जैसे किसी ने कोई गाना देखा और भद्दी राजनीती के बिना सिर और पैर के भूतों में उलझ गया। ज्यादातर के साथ, आज यही हो रहा है। क्यूँकि, आपका सोशल कल्चर मीडिया, आपको यही परोस रहा है। 
किसी के लिए उसी गाने का मतलब, भूतों से पैसे कैसे कमाएँ या कुर्सियाँ कैसे पाएँ भी हो सकता है। उनका दिमाग, उसी सोशल कल्चर को अपने व्यवसाय के लिए भुना रहा है।   

वो सब अपना काम कर रहे हैं। वो चाहे राजनीती है या मीडिया या कोई व्यवसाय। इसमें आप क्या कर रहे हैं? एक तो भूत, वो भी किसी और के, किसी गए गुजरे ज़माने के। उसपे उनको आपकी ज़िंदगियों में घुसाना? क्यूँकि, जिनके भूत हैं, वो उन्हें कब के भूत बना चुके। भूत, जो आज या कल कभी नहीं हो सकता। हाँ। उनकी हूबहू जैसी सी कॉपी (alter ego) जरुर बनाई जा सकती है। ये कॉपी करना या बनाना ही बड़ा खेल है। 

आपके लिए क्या है ऐसी राजनीती या मीडिया? कुछ देर का सिर्फ मनोरंजन का साधन? जैसे कोई सास-बहु सीरीज टाइप? या भूतों की फिल्में या गाने? या ये महज़ मनोरंजन ना होकर, आप लोगों की ज़िंदगियों को कहीं गर्त में धकेल रहा है? आप पर कोई भद्दी सामान्तर घड़ाई तो नहीं चल रही? और आप जाने-अंजाने उसका हिस्सा बन रहे हैं? क्या आपको कोई बता रहा है, की उसका असर आपकी अपनी ज़िंदगी पर क्या होगा? या आपके बच्चों या आसपास पर क्या होगा? ये कैसी राजनीतिक पार्टियाँ हैं, जो आपको हर तरह से लूट रही हैं? ऐसे मुद्दाविहीन, भद्दे-भंडोलों वाले चुनावों की, या ऐसे चुनकर आए नेताओं की, किस और कैसे समाज को जरुरत है?   

दुबई डूब गया? सच में? कैसे? कब? क्यों? क्या चल रहा है, ये सब? Mind Control? दिमाग को कंट्रोल करना। अपनी ही तरह की ट्रेनिंग देना। इधर भी, उधर भी। देखो जिधर, सुनो जिधर, उधर? मानव रोबॉट बनाने के तरीके हैं ये। 
अगली पोस्ट, दुबई से ही शुरू करते हैं। जानने की कोशिश करते हैं की कैसे, बच्चों, युवाओं और बुजर्गों तक को, ऐसे-ऐसे और कैसे-कैसे जालों का हिस्सा बना, उनमें उलझा दिया जाता है। और उन्हें खबर तक नहीं लगती, की उनके साथ ऐसा किया जा रहा है।                      

Wednesday, April 24, 2024

Story, Board and Games (GM)

GM अगर बोलें तो आपके दिमाग में क्या आएगा?

Grand Master? Chess?

Gmail?   

 Genetically Modified? BT Cotton? 

कोई GM सरकार जैसे?

या ?  

पता नहीं क्यों इस गाने को देखा तो लगा, ये तो किसी GM fight-सा है शायद?  

GM 
पेपर्स 
पंखा 
6:16? A? 

सीढ़ियाँ, टिफ़िन?
Car Start? (Look)   
ND 2 (Low Patrol Sign)?
कार से बाहर पीछे?   
बॉस से झगड़ा या डाँट?
बॉस बीच में (एक तरफ लाइट और दूसरी तरफ?)?
ऑफिस से बाहर?
और फिर से कार मगर? कुछ बदला बदला सा है?     

जो बदला हुआ था वो अब कुछ साफ़ दिख रहा है?
Alter Ego Fight? एक में कोट है, दूसरे में नहीं? अब कार कोट वाले के पास है? और? पीछे उल्टा U जैसा कुछ? पहले सफ़ेद बाहर था, रस्ट या लाल सा रंग अंदर। अब सारा का सारा सफ़ेद?
लाइट अहम?
ऑफिस के 2 गॉर्डस और ऑफिस से बाहर?           


6 : 15 ?
Dusted?
Blooded gambling?  


टिफ़िन फिर से है उन्हीं सीढ़ियों में मगर?
दिवार पे जीसस टंगा है? और खिड़की पीली?
सोने की चेन उड़ गई?
साइको एंट्री?     


वही फिर से बिखरे-बिखरे से पेपर?
मगर?
दरवाज़ा बंद?

ये 16 + (plus) है या T? या जीसस का चिन्ह?
या 16 मतलब?
शिव?
या?  
विज्ञान को पढ़ें?
आस्थाओं को?
राजनीती और टेक्नोलॉजी को?
या छल-कपट को?
इस 16 और 6 के बीच जैसे, सारा समाज आ जाता है। 
नहीं?
इतना भला गानों में कौन देखता-समझता है? लिरिक्स सुनते हैं और उन्हीं में रम जाते हैं?

Story-Board-Games

Story-Board-Games

इसमें सारी दुनियाँ आ गई। आपकी, मेरी, इसकी, उसकी और भी ना जाने किस, किसकी। फिर फर्क नहीं पड़ता की आप पढ़े लिखे हैं या अनपढ़। कम पढ़े लिखे हैं या ज्यादा? नौकरी करते हैं, इसकी, उसकी या किसकी? कोई अपना व्यवसाय है या बेरोजगार हैं? गरीब हैं? अमीर हैं? या मध्यम वर्ग? महल में रहते हैं या झोपड़ी में? भगवान में विश्वास करते हैं या नहीं। यहाँ आपको सब देखने को मिलता है। किस्से-कहानीयों में। इनके किस्से कहानी या उनके किस्से कहानी या जिस किसी के भी किस्से कहानी। जिनमें बहुत बार ऐसा लगता हैं ना की ये तो इसके या उसके या शायद आपके खुद के साथ ही जैसे हो रखा हो? क्यूँकि, किस्से कहानियाँ समाज से ही आते हैं। बस उनमें थोड़े कम या ज्यादा सुनाने या दिखाने वालों के भी तड़के लग जाते हैं। 

तो किस्से-कहानी मतलब Story 

कहानी के अलग-अलग हिस्से या क्रोनोलॉजी मतलब Story Board 

इसी Board को अगर Classes से थोड़ा आगे कुर्सियों का हिस्सा बना दें, तो हो गया Board Games. मतलब दिमागी खेल, जो मीटिंग्स या फाइल्स के द्वारा चलते हैं। ये किसी भी सिस्टम का दिमाग हैं। दिमाग जैसे शरीर को चलाने के लिए शरीर के अलग-अलग हिस्सों का प्रयोग करता है। ये भी समाज का प्रयोग या दुरुपयोग ऐसे ही करते हैं। अब वो प्रयोग हो रहा है या दुरुपयोग, इसका अंदाजा वहाँ के समाज के हालातों से लगाया जा सकता है। 

दिमाग के संदेशों को आगे बढ़ाने के लिए जैसे तंत्रिका-तंत्र काम करता है, ऐसे ही इन Board Games को आगे बढ़ाने के लिए या इनके किर्यान्वन के लिए इनकी फैलाई गई शाखाएँ और उनके समाज पर प्रभाव। Networking . कुछ-कुछ जैसे Neural Networks. ये नेटवर्क्स अहम हैं। ये आपका भला चाहने वाले हैं तो ज़िंदगी सही जाएगी। लेकिन इन्हीं में अगर गड़बड़ है, तो वो ज़िंदगियाँ या समाज का वो हिस्सा ज्यादातर झेलता मिलेगा। इसपर फिर कभी आसपास के ही केसों के माध्यम से। 

अभी अगली पोस्ट में Story Board Games को थोड़ा और जानने की कोशिश करते हैं।