Election Result Day And Drama Kidnapping Day?
Live Streaming means live streaming all time, especially when you have a phone with you.
रिजल्ट वो भी भारत के इलेक्शन का? बदल जाता है, परिणाम वाले दिन भी? क्यूँकि सट्टा बाजार ही सत्ता है? Live Streaming चल रही थी और 400 से धड़ाम नीचे? वो भी कहाँ पर? कितने पर?
तो ऐसा कैसे की, PGI के VC Office के बाहर से जब एक इंसान को उठाने के लिए इतनी फ़ोर्स को आना पड़ा? और वो जब फोन पे रिकॉर्डिंग कर रही हो, उन पुलिस वालों की (Officers?), जिन्होंने खुद मास्क नहीं लगा रखा था। तो कितने इन्हीं मीडिया वालों ने उसका जिक्र तक किया? वो रिकॉर्डिंग भी तो जहाँ भर में, बहुतों के पास होगी? कहाँ कैसे दब गई या दबा दी गई वो रिकॉर्डिंग? ठीक ऐसे? जैसे ये केस स्टडी वाली किताब, Kidnapped by Police? मीडिया में कहाँ-कहाँ भेजी गई थी, उसकी कॉपी? चलो ये तो एक खामखाँ-सा कोई आम इंसान था। और यहाँ आम इंसानों के साथ क्या कुछ तो नहीं होता? वैसे ही जैसे, कहीं पहले भी कहा, मीडिया की भूमिका अहम होती है। किसी भी समाज को आगे बढ़ाने में या पीछे धकेलने में। वैसे ही जैसे, pandemic जैसी राजनीतिक बीमारियों को छुपाने में? या उसके नाम का हौवा आम-आदमी को डराने में? दुनियाँ भर का मीडिया उस दौरान क्या कर रहा था? इतनी एकजुटता, आदमखोर राजनीती के खेल में?
सबसे बड़ी बात तो ये की दुनियाँ भर का मीडिया क्या मुठ्ठी में है, ऐसे-ऐसे कारनामे रचने वाली पार्टियों के? या खुद एक हिस्सा भी है? मतलब इस सबका तो यही लगता है? प्रश्न जायज है ना? या ये भी गुनाह है? मोदी युग में तो शायद?
या शायद कुछ ये भी कह सकते हैं, की बताने वालों ने तो फिर भी बताया है। चाहे कोढ़ के जरिए ही। जेल के बाथरुम तक कैमरों के हवाले होते हैं? अब किस हद तक, ये तो वही बेहतर बता सकते हैं, जो कहते हैं की ये दुनियाँ एक बुचड़खाना है।
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