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Monday, July 1, 2024

खाना-पानी, दाना-पानी और?

ये तो कुत्ते-बिल्लियों सा साँग है?

नहीं। चिड़ियों, कबुतरों-सा।   

शायद, गाएँ-भैंसों सा?

और शायद, कीट पतंगों-सा?

फिर तो,

फूलों, कलियों और भोरों-सा भी कह सकते हैं? 


कुत्ते, बिल्लियों के प्रकार? 

चिड़ियों, कीटों-पतंगों के आहार, व्यवहार?  

कैसे लाते होंगे, ये इन्हें ?

इतने सारे गायोँ, भैंसों, खागड़ों के,

हों किसी रैम्प पे, शो-अवतार जैसे? 


क्या परेड लगा रखी है?

इतने सारे गायों, बच्छड़ों या बच्छडियों की? 

इतने सारे पशु-पक्षियों की?  

इंसान को तो फिर भी चलो, घुमा देते होंगे?

मगर, इन पशु-पक्षियों को कैसे?

कैसे चलाते होंगे?

जैसे कोई खास नम्बर्स, खास वक़्त किसी रैंप पे? 


ऐसा कुछ बड़बाया ही था  

और कुछ देर बाद, 

ये क्या?

आगे-आगे विराज रोटी के साथ, 

और पीछे-पीछे? 

गाएँ, रोटी के। 

गली से बाहर निकाल आया उसे, 

बिना किसी खास मशक्कत के। 

और रोटी देकर शरारती बालक वापस घर पे। 


ऐसे ही कुछ जैसे, 

एक छोटा-सा बछड़ा

आने लगा था गली में 

जाने कहाँ से। 

और पड़ोस की मौसी बोलती 

मंजु, रोटी डाल दे इसे 

तेरा भाई आ गया। 

मेरा भाई? 

आपका तो फिर बेटा हुआ ना, 

आप डालो। 

मैं तो पता नहीं कितने दिन और रहूँगी,

आपका साथ ज्यादा है। 


वही बछड़ा,

जिसका कान काट दिया था 

कुछ शरारती तत्वों ने, होली पे। 

अब थोड़ा बड़ा हो चला है, 

और मारने भी लगा है। 

उसका भी यही इलाज है, आगे खिसकाने का।  

कुछ भी खाना लो, 

और दूर-सी डाल आओ।  


ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी, 

अजीबोगरीब-सी कहानियाँ, 

कितनी ही गायोँ की, भैंसों की 

बच्छडों की, बच्छडियों की 

कटड़ों की, कटड़ियों की 

चमगादड़ों की, चीलों की 

कौवों की, कटफोडों की। 

 

या फिर,

टूटी-टाँग काबर (Myna) के जोड़े की, 

बिल्ली की चोटिल पूंछ की 

बंदरों के आवागमनों की 

कहीं उस कोयल की कुक की 

तो कहीं उस नीली चिड़ियाँ की 

ये जहाँ आती हैं या जाती हैं?

जहाँ बैठती हैं, 

क्यों किसी दिन वहाँ बैठती हैं?

इनके शो को ऐसे कौन डायरेक्ट करता है?

सिर्फ खाना-पानी, दाना-पानी? 


या उससे आगे भी बहुत कुछ?

जैसे खास नंबरी कुत्तोँ का, कोई खास शो?

Tide Over Climate?

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