Search This Blog

About Me

Media and education technology by profession. Writing is drug. Minute observer, believe in instinct, curious, science communicator, agnostic, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Thursday, May 9, 2024

Blonde और Acidified पोस्ट का "एसिड अटैक version"?

हूबहू किसे कहते हैं?

Simulations?

Best Template 

Ingredients, conditions  

Process, Reaction 

Almost Ditto, Copy 

ये Bioinformatics में Protein 3D prediction हो सकता है। Molecular में PCR भी हो सकता है। और 3D प्रिंटिंग भी। या 3D Google Earth View भी। आपके घर का 3D डिज़ाइन भी। 

और?

Blonde और Acidified पोस्ट का "एसिड अटैक version"?  

ये फोटो गूगल बाबा ने दी हैं 



Acidified? 
Who? 
Sam Uncle?
Sam Pitroda?
AC? ID?
Delhi LG?

या फिर DD O DD ब्रिगेड? 

पोस्ट inspiration or what they call, prompt? Some social pages.     

हूबहू नकल कैसे होती है? Mind Wash या Mind Control ट्रैनिंग?

या हूबहू नकल कैसे होती है? क्या उसके लिए कोई Mind Wash या Mind Control ट्रैनिंग होती है? 

या कोई इंसान हो 20 या 22 का, मगर दिखाना हो 30 या 40?

40 या 50 का, मगर दिखाना हो 60 या 70?

बच्चा, मगर दिखाना हो बड़ा या बुजुर्ग?

हडियल, मगर दिखाना हो मोटा?

मोटा, मगर दिखाना हो हट्टा-कट्टा या हडियल?

छोटा, मगर दिखाना हो लम्बा?

हो लम्बा, मगर दिखाना हो छोटा?


ऐसे ही हो ठीक-ठाक, मगर दिखाना हो बीमार?


पहले तो कल्पना के पँख लगाओ और जैसा बनाना है वैसा सोचो। अब उसे वैसा बनाने के लिए क्या-क्या करना है या चाहिए वो सोचो। और हो जाओ शुरू। चलो बनाते हैं हुबहु कॉपियाँ।          

बहुत-सी, बहुत तरह की घड़ाईयाँ मिलेंगी। ज्यादातर घड़ाईयोँ में बहुत ही आम बोलचाल के जैसे कोड होते हैं। वो आम आदमी के पास कैसे आते हैं? वही कोड बताते हैं की वो सामान्तर घड़ाई या घड़ाईयाँ किस पार्टी ने घड़वाई होगी और किसके खिलाफ? वो किसी हक़ीक़त के आसपास भी हो सकती हैं और उसके बहुत दूर भी। जैसे in-out वाले महान। ये रोजमर्रा की छोटी-छोटी या अदृश्य-सी चीजें ही बड़े कारनामें करने या करवाने में कारगार होती हैं। 

माइक्रो मीडिया लैब (Micro + Media + Lab)      

Wednesday, May 8, 2024

What makes a University, University?

University represents 

Knowledge?

Ideas?

Information?

Views?

Independance?

Trends?

True representation of that society?

Or maybe more than that?




कल्पना को पँख दो?

Give Imagination A Fly? 

Or Let's Your Imagination Fly?

मान लो किसी ने आपको कोई बॉक्स गिफ़्ट किया। Fly in Imagination? Or Maybe Mirror, Cosmatic Box and Fly? 

कल्पना में उड़ो? नहीं शीशे में? या आईने में उड़ो?   

दोनों में कोई फ़र्क है क्या?

निर्भर करता है। बुरी बात तो नहीं, कल्पना में उड़ना? या सपनों में उड़ना? या अपने सपनों को हवा देना? मगर, हवा देने से पहले तो, वो सपना दिमाग में आना चाहिए। नहीं? अब वो सपना अच्छा भी हो सकता है और बुरा भी। 

दिमाग में कैसे आएगा?   

फिर हवा कैसे मिलेगी?

और उड़ान, कल्पना की ही चाहे, कैसे लगेगी?

अब कल्पना की हवा लग गई, तो साकार करना क्या मुश्किल है?

निर्भर करता है, की आपके पास उसे साकार करने का सारा सामान उपलभ्द भी है की नहीं?

ठीक वैसे, जैसे आपको कोई पेज कॉपी करना है। क्या चाहिए उसके लिए? पेज और प्रिंटर, अगर पेपर पे कॉपी करना करना है? कैमरा, अगर सिर्फ सॉफ़्ट कॉपी चाहिए?

अगर आप किसान हैं तो, गेहूँ उगाने हैं? चावल या बाजरा उगाना? ऐसे ही, कुछ और भी हो सकता है। 

अगर आप खाना बनाना जानते हैं तो, आटा गुंथना है? गेहुँ की रोटी का, या बाजरे की रोटी का या बेसन की रोटी का? या दही जमानी है? या घी बनाना है या लशी बनानी है? या शायद ब्रेड बनानी है? या केक बनाना है?

अगर गाएँ या भैंस रखते हैं तो, अगर दूध निकलना है? कब निकालना है? कितनी बार निकालना है? कौन सी गाएँ या भैंस, बकरी या ऊँट कितना दूध देंगे? उनके गोबर के उपले या खाद बनानी है? कैसे बनेगी?

बाथरुम में या रसोई में सिंक के आसपास या कहीं भी जहाँ ज्यादातर पानी ठहरता है, काई लग गई, तो कैसे साफ़ होगी? 

ज़ुकाम हो गया या बुखार हो गया या थोड़ा बहुत कहीं से जल गया या कट गया तो आपको उनके घरेलु इलाज़ भी मालूम हैं। 

आपको अपने बच्चों को कैसे बोलना सिखाना है या चलना सीखाना है,  कैसे रखना है या आगे बढ़ाना है या पढ़ाना है, शायद ये भी मालूम है। ऐसे ही पालतु जानवरों का भी?   

ये काम और ऐसे ही कितने ही काम जो आप रोज करते हैं, कोई रॉकेट विज्ञान या जैनेटिक इंजीनियरिंग नहीं है।  मालूम है, कैसे करना है। अगर आप इन्हें करते हैं तो? जो आसपास होते या लोगों को करते देखते हैं, उन्हें भी ज्यादातर आ ही जाते हैं। 

मगर, अगर कोई ये सब नहीं करता या अपने आसपास किसी को करते ध्यान से नहीं देखता या सुनता तो? 

जैसे जो किसानों के बच्चे पढ़ते हैं, ज्यादातर खेती नहीं करते, मगर फिर भी शायद बहुतों को बहुत कुछ आता है या कम से कम पता होता है। जिनके घर में या आसपास भी कोई खेती नहीं करता, उन्हें भी बहुत-सी साधारण-सी बातों का भी शायद ना पता हो खेती के बारे में। ऐसे ही खाना बनाना है या कोई भी और काम। 

ऐसे ही आपके बच्चे कितना आसानी से या अच्छे से पढ़ पाते हैं या उन्हें मुश्किल लगता है, खासकर स्कूल के बाद? ये आपके घर का और आपके आसपास का वातावरण तय करता है। और राजनीती, ऐसे बच्चों को कहाँ धकेलती है? ये भी आपके यहाँ का राजनीती का मौहाल बताता है। वो नेता खुद कितने काबिल है और कैसे माहौल में पले-बढ़े हैं या पढ़े-लिखे हैं?  

कल्पना को पँख दो मगर?

मगर, सोच-समझ कर। बहुत तरह के कल्पना के पँख, आपकी जानकारी के बिना भी लग सकते हैं। कैसे? जैसे 

कोई आपसे या आपके आसपास किसी से 

लठमार की प्रैक्टिस (नौटंकी) तो नहीं करवा रहा? चाहे झुठी-मुठी ही सही? 

कोई आपसे या आपके बच्चों या बुजर्गों से नाली में स्लेटी डलवाने की? 

यहाँ-वहाँ पॉलिथीन डलवाने की? 

या कोई भी फ़ूड पैकेट्स, यहाँ-वहाँ किसी खाली घर या प्लॉट में डलवाने की? 

मैंने तो सुना है की अच्छी जगहों पे लोगबाग, ये सब डस्टबिन या कूड़ा डालने की जगह डलवाने की आदत डालते हैं, खुद भी और अपने बच्चों को भी। 

और आप? फिर भी आप चाहते हैं की आप अपने बच्चों को किन्हीं ऐसी जगहों के बच्चों से बराबरी या पर्तिस्पर्धा करवाएँ? जबकि दिमाग उन्हें उल्टे काम सिखाने में व्यस्त है?      

चाहे वो कल्पना के पँख गलत आदतें हों या रोज-रोज की नौटंकियाँ। वो नुकसान आपका ही करती हैं। रिश्तों में दरारें या बीमारियों के रुप में। मार-पिटाई के केस या इससे भी आगे कहीं-कहीं तो लग रहा है, मछली पकड़ने की, या पिस्तौल, देशी-कट्टा या गन के संकेत भी हो सकते हैं। आपके आसपास भी कहीं दिख रहे हैं क्या? 

सुना है या पढ़ा है यहाँ-वहाँ, की जो कुछ संकेत जहाँ कहीं हैं, वो या तो वहाँ (उन घरों में) उस वक़्त चल रहा है या ऐसा करने की कोशिशें हो रही हैं। तो आपके घर में या आसपास क्या चल रहा है? खुद आपसे ही ये राजनीतिक पार्टियाँ या इधर-उधर के राजे-महाराजे क्या करवा रहे हैं? और आप कर भी रहे हैं? सोचके देखो, ये आपके कितने भले में हैं? क्या वो साथ में ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी सामान्तर घड़ाईयोँ के दुष्परिणाम भी बता रहे हैं? या सिर्फ छोटे-मोटे लालच दे रहे हैं? इन सबको और ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी नौटंकियों को नहीं करोगे तो क्या इन पार्टियों की ऐसी-ऐसी और कैसी-कैसी घड़ाईयाँ नहीं होंगी? शायद? जानते हैं, अगली पोस्ट में।   

कटपुतली का शो? जादू कोई?

कोई कहे छह, मगर एक?

या कोई कहे सात, मगर एक?

जैसे 16 या 17?

या शायद कोई कहे एक या दो। उसके बाद जितना आगे, उतना ही ज्यादा प्रैक्टिकल या व्यवहारिक? या टेक्नोलॉजी और ज्ञान-विज्ञान? जब आपको थोड़ा बहुत भी सिस्टम का कोढ़ समझ आने लगता है तो शायद आप जहाँ-कहीं उसी नज़र से देखने लग जाते हैं। जैसे  

जादू कोई? 

 कटपुतली का शो?

या ज्ञान-विज्ञान?


2019 जादू था। उसके बाद तो दुनियाँ बदल चुकी? 

Let's Fly?
Or Let's Go?

Shout Out Cowboys?
Or O Duck O?
Go Gatots?

Or 
Machines?
Mascots?
Terrains?
Specialities?
Wonders?
And?
Thunders?

Blonde or Acidified?

आपने कहीं लिखा, Blonde or Acidified?

What's it to do with 7X? If any? 70? 

आप अंग्रेज हैं?

नहीं, शायद एसिड अटैक का दुष्प्रभाव है? जहाँ की ID AC LG blah blah है? या शायद TRUMP i fied की कोशिश भी कह सकते हैं? 

अब आप कहें, की ये क्या है? किसी को vitiligo है? मगर कोई कहे, ये तो acid attacks हैं? हो सकता है, high dose pesticides या ऐसी ही कोई और poisioning? यहाँ, वहाँ, वहाँ से? और जाने कहाँ-कहाँ से?   

ये आपका पर्यावरण है। जिसमें आपके आसपास जहर है और जहरीले लोग? जरुरी नहीं, ये सब साफ़-साफ़ दिखाई दे। मगर शायद, Ecology studies के लिए अहम हो सकता है।   

7X कब-कब और कहाँ-कहाँ और कैसे-कैसे रुप में आपके आसपास दिख सकता है? 

वैसे ये 7X वाले 7X तक पहुँचे कैसे? ये किसकी और कैसी गिनती है? थोड़ी अज़ीब गिनती नहीं है?

खैर। ये कॉउंटिंग कितनी ही तरह के उत्पादों में हो सकती है। जैसे?

कॉस्मैटिक्स? टॉइलेट्रीज़? या किसी भी तरह के साफ़-सफाई के उत्पाद या खाद-पदार्थ। जैसे?

7 in 1? कहाँ-कहाँ पढ़ा है?      

या 7X? 

दोनों अलग हैं या एक ही तरह के उत्पाद हैं?

मान लो 08. 05. 2024 को कोई आपको 7X दे गया? मतलब? 

अरे कुछ नहीं। आप फर्श साफ़ करें। 

ऐसे ही जैसे कोई स्लेटी रंग के तसला-बाल्टी बेच रहा हो? तसला को TESLA से मत जोड़ देना अब। ELON MUSK नाम तो सुना होगा? TWITTER X से पता नहीं क्या लेना-देना है?

वैसे स्लेटी रंग के तसले-बाल्टी या टब और नाली में सफ़ेद स्लेटी बहाना, से भी कोई लेना-देना हो सकता है? और किसका? ये महान पार्टियाँ, समाज को कहाँ व्यस्त रखती हैं? थोड़ा और जानना चाहो तो कुछ भी खरीदने या प्रयोग करने से पहले, उन्हें बेचने वालों के नाम, पते और जानना शुरू कर दो। और ये भी, की वो जहाँ फ़िलहाल रह रहे हैं, वहाँ कहाँ से आए हैं? ये उत्पाद किन और और कैसी फैक्टरियों में बन रहे हैं? इन सबको अगर किसी रिकॉर्ड की तरह नोट भी कर पाओ, तो पता है वो क्या कहलायेगा? आपका अपना और आपके आसपास का बचाव। गाँवों जैसी जगहों पे या ऐसी कॉलोनियों में जहाँ कौन आता है और कौन जाता है, या क्या बेचता है की कोई एंट्री या निगरानी नहीं होती, शायद वहाँ भी कोई तो प्रतिबंध होना चाहिए?   

वैसे किसी भी उत्पाद पर उसके नाम के साथ-साथ, कंपनी का नाम और वो उत्पाद किन-किन केमिकल्स से मिलकर बना है, ये भी लिखा होता है। उन्हें और उनके प्रभावों या दुस्प्रभावों को जानना शुरू कर दें तो काफी बिमारियों से बचा जा सकता है। 

कोई भी उत्पाद कब तक और किस-किस जगह या बाजार में रहता है, ये वहाँ के सिस्टम का कोढ़ बताता है। कोई उत्पाद टिकाऊ तो कोई कब आया और कब गया, पता ही नहीं। इसीलिए टिकाऊ भरोसेमंद होता है। और आया राम, गया राम तो? आया राम, गया राम ही होता है। मतलब, ये आया राम, गया राम जैसे नए-नए उत्पाद बेचने वाले आते हैं ना, जहाँ तक हो सके, इनसे बचें।       

Friday, May 3, 2024

पहचान भूल जाना या गलत पहचान बताना?

Wrong Identity, Forgotton Identity Or Identity Crisis 

क्या हो अगर आप अपना नाम भूल जाएँ?

घर का पता भूल जाएँ?

आपके घर में कौन-कौन हैं, आपको पता ही ना हो?

या वो आपके क्या लगते हैं? 

आपके अड़ोसी-पड़ोसी कौन हैं, यही भूल जाएँ?    

वो आपके क्या लगते हैं, ये भी भूल जाएँ?

आपका स्कूल, कॉलेज कहाँ है, ये भूल जाएँ?

या कहीं कोई नौकरी करते हैं, उसका पता भूल जाएँ?

कोई पूछे 

नाम क्या है?

पता नहीं। 

माँ का नाम?

पता नहीं। 

बाप का नाम?

पता नहीं। 

भाई-बहन?

पता नहीं। 

घर का पता?

पता नहीं। 

अड़ोसी-पड़ोसी?

पता नहीं? 

मौहल्ला, गली?

पता नहीं। 

गाँव, शहर का नाम?

पता नहीं। 

करते क्या हो?

पता नहीं। 

शादी हो रखी है?

पता नहीं। 

बीवी बच्चे?

पता नहीं।

या गलत पहचान 

जैसे 

नाम क्या है?

फलाना-धमकाना 

माँ का नाम?

फलाना-धमकाना

बाप का नाम?

फलाना-धमकाना

भाई-बहन?

फलाना-धमकाना 

घर का पता?

फलाना-धमकाना 

अड़ोसी-पड़ोसी?

फलाना-धमकाना

मौहल्ला, गली?

फलाना-धमकाना 

गाँव, शहर का नाम?

फलाना-धमकाना 

करते क्या हो?

फलाना-धमकाना 

शादी हो रखी है?

फलाना-धमकाना 

बीवी बच्चे?

फलाना-धमकाना

क्या है ये, फलाना-धमकाना?

पहचान भूल जाना या गलत पहचान बताना?

आपके साथ ऐसा-सा तो कुछ नहीं हो रहा? या शायद इससे भी ज्यादा कुछ? आपके बच्चों, युवाओँ, बुजर्गों तक के साथ? और आपको मालूम भी नहीं? या अहसास तक नहीं? ऐसा ही कुछ आपके रिश्तों या शरीर के साथ होने लगे तो? 

Identity Crisis? Diseases?    

पहचान संकट? या संक्रमण? या बीमारियाँ?

Thursday, May 2, 2024

ओ बीमारी! गोरी या है काली?

ओ बीमारी!

तू गोरी है? 

या है काली?

ऐसे जैसे राज्य या देश, गोरे या काले? 

ऐसे ही जैसे, ऊँची और नीची जातियाँ? 

ऐसे ही जैसे, कड़वा या मीठा पानी? 

ऐसे ही जैसे, घूप और छाँव?

ऐसे ही जैसे?

आप सोचो, आते हैं इसपे भी।         

गुलामी की मानसिकता और आपकी पहचान ?

जब आपकी मानसिकता गुलाम होती है तो आपकी अपनी कोई पहचान या कोई स्टैंड नहीं होता। जो होता है, वो जिसकी आप गुलामी कर रहे हैं, उन्हीं का होता है। कौन-सी पार्टी आपके काम की है? कितनी काम की है? आपके अपनों, आसपास के लोगों से भी ज्यादा?  

जो कोई पार्टी, आपसे जितना छिपा रही है या पारदर्शी नहीं है, वो आपके काम की नहीं है। जनता का भला करने वालों को छिपाने की क्या जरुरत? ऐसे में तो कोई भी पार्टी जनता की हितेषी नहीं है, शायद। सभी कुछ ना कुछ, नहीं, बल्कि, बहुत कुछ छिपा रही हैं। कोढ़ के अनुसार काम कर रही हैं। सविंधान या देश नाम की कोई चीज़ है ही नहीं। फिर ये सेनाएँ क्या है और किसके लिए लोगबाग लड़ते-मरते हैं? बड़ी-बड़ी कंपनियों के लिए? राजे-महाराजों के लिए? 

सबसे बड़ी बात, आप भी अपने या अपनों के लिए काम ना कर, कहीं इन्हीं की गुलामी तो नहीं कर रहे? इसीलिए आज भी छोटी-मोटी गोटियाँ (so-called), कीड़े-मकोड़ों की तरह यहाँ से वहाँ, उठा कर पटक दी जाती हैं। या ख़त्म कर दी जाती हैं। राजे-महाराजों द्वारा? या आपकी राजे-महाराजों की गुलामी की मानसिकता द्वारा? अपने छोटे-मोटे लालच की वज़ह से? या हक़ीक़त से दूर, अँधे-बहरे होने की वजह से? अपनों से दूर और औरों के पास होने की वजह से?

ये सब सामान्तर घड़ाईयोँ से समझ आता है। आसपास के कुछ लोगों ने अपना या अपने किन्हीं आसपास वालों का भला करने के लिए, पता ही नहीं, कैसे-कैसे नुकसान कर डाले। आसपास वालों के तो किए जो किए, अपने भी। क्यूँकि, इन पार्टियों ने उन्हें अँधा और बहरा बनाया हुआ है। जहाँ कहीं से इन्हें सचाई पता लग सकती है, वहीं से भगा देते हैं। या उस इंसान को कहीं दूर पटक देते हैं या दुनियाँ से ही उठा देते हैं। पार्टियों के स्क्रिप्ट्स के अनुसार, सामान्तर घड़ाईयाँ घड़ने के लिए, ऐसी दूरियों या दीवारों का होना बहुत जरुरी होता है। क्यूँकि, आम इंसान इतना बुरा नहीं होता, जितनी निर्दयी और क्रूर राजनीतिक पार्टियाँ होती हैं। ज्यादातर, कोई खास बेईमान या लालची नहीं होते। मगर, इन पार्टियों के पास उन्हें ऐसा बनाने के तरीके होते हैं। इसलिए आम-आदमी के पास सूचनाएँ सिर्फ वो पहुँचती हैं, जिससे इन पार्टियों का काम आसान हो जाता है। जितना ज्यादा इस सही सूचना को छिपाने या तोड़ने-मरोड़ने वाली दिवारें (shield) को ख़त्म किया जाएगा, उतना-ही इन पार्टियों के बुरे जालों से मुक्ति मिलेगी। और आपकी पहचान, इनके चिपकाए स्टीकरों की गुलाम नहीं रहेगी।  

इन्हें हम बीमारियों से या कहना चाहिए की राजनीतिक बीमारियों की हकीकतों से ज्यादा अच्छे से समझ सकते हैं।   

आपकी पहचान और इधर-उधर के स्टीकरों का प्रभाव

आपकी पहचान पर इधर-उधर से चिपकाए जाने वाले स्टीकरों से पहले, आपको खुद की पहचान को जानना जरुरी है। किन्हीं भी इधर-उधर के स्टीकरों से ज्यादा अहम वो है। इधर-उधर के स्टीकर ज्यादातर हमेशा के लिए नहीं होते। ज्यादातर बहुत ही अस्थायी होते हैं। ज्यादातर बेअसर होते हैं। क्यूँकि, इंसान की याददास्त का बहुत कम हिस्सा स्थाई  होता है। ज्यादातर अस्थाई होता है। 

इस स्थाई और अस्थाई में फेरबदल करके बहुत कुछ बदला जा सकता है। Mind Wash या Mind Control में यही अहम होता है। जैसे किसी बच्चे या पालतु जानवर की ट्रैनिंग। 

फ़र्क इससे पड़ता है, की आपको आपकी असली पहचान मालूम भी है, की नहीं? आपका दिमाग उसे पहचानने में ही गड़बड़ तो नहीं करने लगा? आपको या आपके अपनों को उस पहचान में, उलटफेर की ट्रेनिंग तो नहीं दी जा रही? क्या हो अगर ये जबरदस्ती स्टीकर चिपकाने वाली या चिपकाने की कोशिश करने वाली पार्टियाँ, आपके खून तक के रिश्तों में बेहुदगी लाने की कोशिश करने लगें? वो खून के रिश्ते करीबी भी हो सकते हैं या थोड़ा दूर के भी। आपको इस या उस राजनीतिक पार्टी ने कुछ करने को बोला है? चाहे छोटी-मोटी नौटँकी ही? या असलियत में कुछ ऐसा, जिसका प्रभाव या कहो दुस्प्रभाव, वक़्त के साथ बहुत बुरा हो सकता है। आप पर भी और आपके आसपास वालों पर भी।

किसी ने आपको कुछ ऐसा बोला क्या, की कोई माँ, बहन, बेटी या बुआ या भाभी या ऐसा कोई और रिस्ता भी हो सकता है, कहीं आसपास हो या आए तो फलाना-धमकाना पानी की पाइप उठाना और पौधों में या ज़मीन में पानी देने लग जाना? या खुरपा या कस्सी लेकर कहीं खोदने लग जाना? या अपने किसी बच्चे या बच्ची को लेकर वहाँ से गुजरना या कुछ खास बोलना? या किसी खास जगह जाकर बैठ जाना या वहाँ ले जाकर उनके साथ खेलना? कभी-कभी तो ऐसे वक़्त भी जब देखने वालों को लगे, अरे ये पागल तो नहीं हो गए? इतनी धूप में? या इतनी ठंड में? या बारिश तो पहले ही आ रही है? या आंधी चल रही है या लू चल रही हैं? या रात का या बहुत सुबह का वक़्त है। ऐसे में तो अपने घर नहीं होना चाहिए? आपको शायद किसी को वो सब दिखाने या चिढ़ाने के लिए बोला हो। वो भी किसको? आपका अपना कोई, माँ, बहन, बेटी, बुआ, भाभी, दादी जैसे रिश्तों को क्या दिखाना या चिढ़ाना चाहते हो? समझ नहीं आ रहा, की आप खुद अपनी और साथ में अपने बच्चे तक की रैली पीट रहे हैं? सामने वाले पे हो सकता है, उसका कुछ असर ही ना हो या उसे समझ तक ना आए। मगर, 

मगर, आपकी और आपके बच्चे की कोई बेहुदा ट्रैनिंग जरुर शुरू हो गई है। जिसके दुर्गामी परिणाम अच्छे नहीं होंगे। ये किसी पार्टी का, किसी तरह का छुपा हुआ स्क्रिप्ट चल रहा है, खुद आपके और आपके अपनों के ख़िलाफ़। आपपे, आपके बच्चों पे या आसपास पे वो कोई स्टीकर चिपकाने की कोशिश कर रहे हैं। आपको और आपके बच्चे को अपनी असली पहचान से दूर करने की कोशिश हो रही है। आपकी असली पहचान क्या है वहाँ? क्या रिस्ता है, आपका या आपके बच्चे का वहाँ पे? उसकी कोई सीमाएँ हैं? कहीं वो ऐसी कोई सीमाएँ तो नहीं लंघवा रहे आपसे? इसका मतलब ये है, की आपकी या आपके बच्चे की आने वाली ज़िंदगी में ऐसे रिश्ते घड़े जा रहे हैं। जिनको आप चिढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं, वो शायद उस वक़्त तक आपके आसपास भी ना हों। तो आपके साथ-साथ और कौन शिकार होगा या होंगे? 

अगर अभी तक थोड़ा बहुत भी आपको सामान्तर घड़ाईयोँ वाला ये राजनीति और बड़ी-बड़ी कंपनियों का जुआ समझ आया हो, तो अपने आसपास ही नज़र दौड़ा लो। बहुत-सी, बहुत तरह की घड़ाईयाँ मिलेंगी। ज्यादातर घड़ाईयोँ में बहुत ही आम बोलचाल के जैसे कोड होते हैं। वो आम आदमी के पास कैसे आते हैं? वही कोड बताते हैं की वो सामान्तर घड़ाई या घड़ाईयाँ किस पार्टी ने घड़वाई होगी और किसके खिलाफ? वो किसी हक़ीक़त के आसपास भी हो सकती हैं और उसके बहुत दूर भी। जैसे in-out वाले महान। कोई किसी एक्सीडेंट के बाद बैड रिडन हो और कोई दिखाना चाहें live- in रह रहा है या रह रही है कहीं। अश्वथामा मारा गया जैसे-से किस्से-कहानियाँ। वो तो मर गया या मर गई और उसका सब किसी को दान हो गया या बाँट दिया। या वो सबका खा गया और बताते हुए भी शर्म आए की उसके पास ऐसा खाने को क्या है? ऐसा गाने वालों के खेतों में मजदूरी? या किसी के स्कूल की दिहाड़ी?     

अच्छे खासे पढ़ते-पढ़ते बच्चे कॉलेज तक आते-आते पढ़ाई क्यों छोड़ देते हैं? या 10-12 के बाद ही, अजीबोग़रीब केसों में क्यों उलझ जाते हैं? या ज़िंदगी ही खो देते हैं? या कुछ जेल की हवा खाने के बाद, वापस ज़िंदगी की तरफ क्यों नहीं मुड़ पाते? शायद आप कहेंगे, माहौल? जी हाँ। माहौल। मगर वो मौहाल कौन बना रहा है? आप? आपका आसपास? या शायद शातीर राजनीती? वही पार्टियाँ, जिनके आप भक़्त हैं? वो उसमें आपको शामिल कर रही है? सिर्फ आपको नहीं, बल्कि आपके बच्चों तक को? और आप जाने या अंजाने शामिल हो रहे हैं? 

सिर्फ रैली पीटने तक हो तो भी चल जाए, यहाँ तो ज़िंदगियाँ ही ख़त्म हो रही हैं या दाँव पर लग रही हैं। वो भी पैदाइशी? या बचपन में ही, जब बच्चे को बोलना, चलना तक नहीं आता, तभी? उन्हें दाँव पे रख दिया जाता है। कहीं इस पार्टी द्वारा, तो कहीं उस पार्टी द्वारा? या खुद उसके अपनों द्वारा भी? जाने या अन्जाने में? क्यूँकि, उन्हें लगता है की इतनी छोटी-छोटी बातों या नौटंकियोँ से क्या होता है? 

बड़े लोग (so-called) अपनी पहचान नहीं छोड़ते। उल्टा, अपने स्टीकर हर किसी पे चिपकाने की कोशिश में रहते हैं।  छोटे लोगों (so-called) की कोई पहचान ही नहीं होती? जिस किसी का स्टीकर अपने पे चिपकवा लेते हैं? और अपना सब, उन स्टीकर वालों के हवाले कर देते हैं? इन स्टीकरों को पहचाने कैसे? आपके चारों तरफ फैले पड़े हैं, ये स्टीकर। 

ये रोजमर्रा की छोटी-छोटी या अदृश्य-सी चीजें ही बड़े कारनामें करने या करवाने में कारगार होती हैं। कैसे? इसे माइक्रो मीडिया लैब (Micro + Media + Lab) बेहतर समझा सकती है। जिसे आप अपने रसोईघर, बाथरुम, खेत-खलिहानों, घर के या आसपास के लॉन या बाग़-बगीचों या तालाबों या छोटी-मोटी झीलों (गंदे या साफ़ पानी की) और खुद के या अपने पालतु जानवरों के शरीर और स्वास्थ्य तक से जान सकते हैं।           

वैसे इन छोटी-छोटी सी बातों की, बड़े लोग (?), बड़ी-बड़ी रैलियाँ भी पीटते हैं। क्यूँकि, उनकी औकात है। जैसे, किसी ने कहीं, किसी पाइप से, किसी के यहाँ या अपने यहाँ, पेड़-पौधों या ज़मीन में पानी दिया। वो भी किसी के कहीं घुमने पे या आने पे। और किन्हीं चैनल्स पे DUBAI में बाढ़ आ गई। आप अगर इतने ही ठाली हो, तो कम से कम, झुठे-मुठे विडियो बनाना ही सीख लो। वो सब आपके काम तो आएगा। ये मुफ्त में खुद सिर दर्द लेना और औरों को देने की कोशिश करना, किस काम का? ऐसे लोगों की बहुत से क्षेत्रों में बहुत जरुरत है। फिर चाहे वो शिक्षा का क्षेत्र हो, राजनीती का, मीडिया का या मनोरंजन का। सिविल हो या डिफ़ेन्स। सबसे बड़ी बात, ये सब करना बहुत मुश्किल भी नहीं है। और बोरिंग भी नहीं है। 

जानते हैं आगे, ऐसी ही कुछ, हुबहु-सी कहानियों के बारे में, जहाँ एक जैसी-सी टेक्नोलॉजी का ईधर भी प्रयोग होता है, और उधर भी। जिनका सदुपयोग भी हो सकता है और दुरुपयोग भी।