Search This Blog

About Me

Happy Go Lucky Kinda Stuff! Curious, atheist, lil-bit adventurous, lil-bit rebel, nature lover, sometimes feel like to read and travel. Writing is drug, minute observer, believe in instinct, in awesome profession/academics. Love my people and my pets and love to be surrounded by them.

Friday, March 29, 2024

उनका जहाँ और इनका जहाँ

खुद के लिए हम 

जीव-निर्जीव सब 

हमारे प्रयोग के लिए? 

उनसे पूछे बगैर 

उन्हें बताए बिना 

दुषपरिणाम उनके। 


उनके लिए हम ,

जीव-निर्जीव हमारे सब 

उनके प्रयोग के लिए? 

और हमें पता तक नहीं 

वो कर रहे ये सब 

कैसे? क्यों? और किसलिए?


बचा जा सकता है, इस सबसे 

कुछ एक प्रश्न करके 

मगर सारा दोष शायद यही है 

इनके जहाँ में प्रश्न करना ही 

जैसे कोई गुनाह है। 


बड़ों से तो बिलकुल ही नहीं 

और उन बड़ों के मायने भी 

बड़े ही अजीबोगरीब हैं। 

 शोषक, वो अजीबोगरीब बड़े हैं 

और शोषित हमेशा ही छोटे? 


ठीक ऐसे जैसे 

घर के बड़े 

अड़ोस-पड़ोस के बड़े 

मौहल्ले, समाज के बड़े?

लड़के इन तबकों में 

पैदा होते ही बड़े हो जाते हैं। 


या शायद सही शब्द 

ज्यादातर ठेकेदार लोग, 

जिम्मेदार नहीं।  

क्यूँकि जिम्मेदार लोग, बड़े होके भी 

महज़ ठेकेदार नहीं रहते। 

जिम्मेदारियों के भार उठाए होते हैं। 

No comments:

Post a Comment