समाज की दी हुई या सिस्टम पोषित बीमारियाँ और ईलाज
लोगों को सही जानकारी देने के साथ-साथ, अगर दो चीजें सही हो जाएँ, तो समाज की दी हुई या सिस्टम-पोषित बीमारियों के ईलाज अपने आप हो जाएंगे।
अच्छी और मुफ्त स्कूल शिक्षा
ऐसी शिक्षा, जहाँ स्कूल, बच्चों से कुछ लेने की बजाय देते हों। मुफ्त शिक्षा मतलब, मुफ्त ड्रेस, किताबें और खाना भी। Day Boarding Schools । कितना मुश्किल है, अगर सच में कोई गवर्नमेंट करना चाहे तो? प्राइवेट स्कूलों का धंधा बंद और साथ-साथ काफी हद तक गरीबी भी। घर पे बैग ना लाना, ना लेके जाना। कम से कम किताबों का भारी बैग तो बिलकुल नहीं।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी टीचर्स, स्कूलों के साथ मिलकर भी काफी प्रोजेक्ट चला सकते हैं। UGC के प्रमोशन के नंबरों में, अगर कुछ जरूरी हिस्सा, Rural Development पे फोकस हो, तो भी काफी सुधार हो सकता है, गाँवों के स्कूलों में। बजाय की उन नंबरों को पूरा करने के लिए चूहा दौड़ का हिस्सा बन, झूठे डाटा से या पैसे देके पब्लिश करवाने के।
कॉलेज और यूनिवर्सिटी शिक्षा
Learn and Earn
कॉलेज और यूनिवर्सिटी खुद ऐसे प्रोग्राम शुरू करें, जहाँ स्टूडेंट्स पढ़ाई के साथ-साथ कमाई भी करें।
हॉस्पिटल्स
अगर हर जिले में कोई अच्छे बड़े सरकारी हॉस्पिटल हों, तो प्राइवेट हॉस्पिटल्स का भी धंधा खत्म। जो शायद ज्यादा जरूरी है। उससे भी ज्यादा जरूरी है, शायद प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंट्र्स को बंध करना। ये और इनका कमीशन दुनियाँ भर की बीमारियाँ हैं।
सही जानकारी और मूलभूत जरूरतें
ये काम बड़ी आसानी से कॉलेज, यूनिवर्सिटी, मेडिकल और रिसर्च सेंट्र्स कर सकते हैं, गवर्नमेंट के सहयोग से। मगर, ये सब तो तब होगा ना, जब गवर्नमेंट्स लोगों के पर्सनल स्पेस या ऐसे मिर्च-मसालों से बाहर निकलें। वैसे, सिविल ही क्यों, इन मिर्च-मसालों (झगड़ों या युद्धों?) से बाहर निकल, डिफेन्स भी वो वक़्त और रिसोर्स इधर लगा सकता है। बहुत नहीं हुए, अभी तक युद्ध?
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