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Sunday, October 2, 2022

रोटी का टुकड़ा

हर कोई काम करता है 

एक रोटी के टुकड़े के लिए? 


जो खेती करता है

वो किसान भी?

जो पढ़ाता है 

वो शिक्षक भी? 

जो खोज करता है 

वो वैज्ञानिक भी?

जो ईलाज करता है 

वो डॉक्टर भी?


जो राजनीती करता है 

वो नेता भी?

जो अभिनय करता है 

वो अभिनेता भी?

नाचते-गाते हैं 

वो कलाकार भी?


जो मिट्टी घड़ता है 

वो कुम्हार भी?

जो कपडा बुनता है

वो जुलाहा भी?

जो कपडे सिलता है 

वो दर्जी भी?

और भी, कितनी ही तरह के 

व्यवसाय और व्यापार करते हैं 

वो सब व्यवसायी भी?


क्या ये सब, सिर्फ और सिर्फ, 

रोटी के लिए काम करते हैं?


फिर तो, जो मांग कर खाता है 

हट्टा-कट्टा होते हुए भी 

वो भिखारी भी?

छीन कर खाता है 

या वसूली करता है 

वो गुंडा भी?

क्या ये सब, सिर्फ और सिर्फ 

रोटी के लिए काम करते हैं?

एक रोटी होती है, अच्छे से पोषण युक्त-भोजन करना, अच्छे से रहने लायक जगह होना और छोटी-मोटी सब जरूरतों का आसानी से पूरा होना। और एक रोटी होती है, जैसा-तैसा मिल गया, जैसे-तैसे मिल गया, यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ से मिल गया, उससे गुजर-बसर करना। वो भरपूर पोषण भी हो सकता है, और रोटी का एक छोटा-सा टुकड़ा भी। एक भिखारी द्वारा कहीं से मांगी हुई, दो रोटियों में से तोड़कर, फेंका हुआ, या दिया हुआ। जैसे, किसी गली के कुत्ते को बचा-खुचा डालना।

चलो ऐसी ही कोई, रोटी के टुकड़े की कहानी सुने?   

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